ग्वालियर हाईकोर्ट के बाहर वकीलों ने भीम आर्मी के सदस्य को दौड़ा -दौड़ा कर पीटा, फिर गरमाया मूर्ति विवाद
पुलिस ने मौके पर मामले को शांत करवाने का प्रयास किया और अधिवक्ता को भी रोका , लेकिन देखते देखते कब दोनो गुट आपस में भिड गए इसका पता नहीं चला। मौके पर गुस्साए अधिवक्ताओं ने भीम आर्मी के रुपेश कैन के साथ जमकर मारपीट कर दी। हालांकि खबर लिखे जाने के समय तक किसी गुट पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई थी।
Publish Date: Sat, 17 May 2025 09:46:27 PM (IST)
Updated Date: Sun, 18 May 2025 07:26:02 AM (IST)
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की।नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। इस मामले में शनिवार को फिर वकीलों और भीम आर्मी के सदस्यों में झडप हो गई। घटना उस समय हुई जब भीम आर्मी के सदस्य हाईकोर्ट परिसर पर पहुंच कर अधिवक्ताओं से बदतमीजी करने लगे। उन्होंने न सिर्फ जय भीम ने नारे दिए बल्कि अधिवक्ताओं से बहस भी की।
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- ऐसा दावा करने वाले अधिवक्ताओं का यह भी आरोप है कि उक्त संगठन के सदस्यों ने पहले आकर एक सीनियर अधिवक्ता को फोन किया और गाली गलौंच की।
- इसके बाद धमकी देते हुए यह भी कहा कि हाईकोर्ट परिसर के गेट बंद न होते ताे वह अंदर आकर उपद्रव मचाते।
- इस बीच में पुलिस ने मौके पर मामले को शांत करवाने का प्रयास किया और अधिवक्ता को भी रोका , लेकिन देखते देखते कब दोनो गुट आपस में भिड गए इसका पता नहीं चला।
- मौके पर गुस्साए अधिवक्ताओं ने भीम आर्मी के रुपेश कैन के साथ जमकर मारपीट कर दी। हालांकि खबर लिखे जाने के समय तक किसी गुट पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई थी।
सोमवार को जबलपुर जाएंगे विधिक अधिकारी
इस मामले में एक निर्णय पर आने के लिए प्रदेश के चीफ जस्टिस ने सभी विधिक अधिकारियों को जबलपुर बुलाया है। इन अधिकारियों यानि अतिरिक्त महाधिवक्ता, बार के पदाधिकारी, सीनियर अधिवक्ता सहित अन्य आवश्यक लोगो को इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए सीजे ने जबलपुर बुलाया है। हो सकता है इस मुद्दे पर सोमवार को कोई निराकरण मिल जाए।
यह है पूरा विवाद
- बीते दिनाें हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को स्थापित किए जाने की बात सामने आई। इसको लेकर तोड़ फाेड और चबूतरा भी बना दिया गया।
- बार एसोसिएशन ने आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया और कहा कि नियमों के हिसाब से इस मूर्ति की स्थापना नहीं की जा रही है।
- भवन समिति के सदस्यों ने भी इस पर सहमति नहीं जताई है। इस पर बार इस मूर्ति स्थापना की खिलाफत में आ गया और वहीं जो अधिवक्ता अंबेड़कर के अनुयायी हैं।
- उनकी मूर्ति की स्थापना के लिए आर्थिक सहियोग भी कर रहे हैं वो बार के विरोध मे नजर आने लगे।
- यह मामला काफी दिनों से शांत स्थिति में था लेकिन बुधवार को अचानक से यह विवाद फिर गरमा गया।