
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। कारोबारी प्रवेश अग्रवाल की इंदौर में घर के अंदर आग लगने से मौत के बाद ग्वालियर के कारोबारियों में भी शोक की लहर है। प्रवेश पहले ग्वालियर ही रहते थे। ग्वालियर में अब भी उनके भाई व अन्य स्वजन रहते हैं। सौम्या ग्रुप की बागडोर जब प्रवेश ने संभाली तो उन्होंने ग्वालियर से बाहर इंदौर, भोपाल व प्रदेश के अन्य शहरों सहित दूसरे राज्यों में भी कारोबार फैलाया।
सफल युवा उद्यमी के रूप में उनकी पहचान थी। इसके बाद समाजसेवा और राजनीति में भी सक्रिय हो गए। ग्वालियर में रहने वाले भाई सहित अन्य स्वजन से प्रवेश ने बीती रात ही बात की थी, इसके बाद यह हादसा हो गया। इसके बाद उनके भाई व ग्वालियर में रहने वाले अन्य स्वजन इंदौर रवाना हो गए।
उनके दु:खद निधन से शहर के कारोबारियों में शोक की लहर दौड़ गई। शहर के व्यापारिक संगठनों व कारोबारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इंटरनेट मीडिया पर भी कई कारोबारियों ने उनके साथ की यादों को साझा करते हुए श्रद्धांजलि दी।
प्रवेश ने करीब 12 साल पहले ग्वालियर छोड़ दिया था। ग्वालियर में सौम्या आटोमोबाइल के नाम से वेंटो कार की एजेंसी शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने इंदौर सहित अन्य शहरों में कारोबार फैलाया।
कैट के प्रभारी भूपेंद्र जैन ने नईदुनिया को बताया कि वह अग्रवाल परिवार से सालों से परिचित हैं। प्रवेश के साथ की भी कई यादें हैं। प्रवेश पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। सबसे बड़े भाई मुकेश अग्रवाल ग्वालियर के शारदा विहार में रहते हैं। वह यहां आटोमोबाइल कारोबारी हैं और समाजसेवा व राजनीति में सक्रिय हैं।
इसके बाद दिनेश अग्रवाल आगरा, कमलेश अग्रवाल इंदौर और चौथे नंबर के भाई लवलेश अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं। प्रवेश सबसे छोटे थे, लेकिन सबसे ज्यादा सक्रिय वही थे। राजनीति में भी नाम कमाया था। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबी थे। देवास से पत्नी के लिए महापौर का टिकट मांगा था, जब टिकट नहीं मिला तो नर्मदा सेना बनाई। जैसे ही इस हादसे की खबर लगी तो मुकेश व घर के अन्य लोग इंदौर के लिए रवाना हो गए।
प्रवेश अग्रवाल के पिता रामदास अग्रवाल झांसी के राठ के रहने वाले थे। वहां से व्यापार के लिए ग्वालियर आए और व्यापार शुरू किया। फिर उनके बेटों ने व्यापार को आगे बढ़ाया।