मनुष्य के जीवन में पांच गुरुओं का विशेष महत्व
प्रथम गुरु जन्म देने वाला, दूसरा गुरु शक्षा देने वाला, तीसरा गुरु संस्कार देने वाला, चौथा गुरु दीक्षा देने वाला और पांचवां गुरु समाधि मरणकेसमयकाहोताहै।
By anil.tomar
Edited By: anil.tomar
Publish Date: Thu, 23 Dec 2021 06:30:00 AM (IST)
Updated Date: Thu, 23 Dec 2021 06:30:29 AM (IST)

ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंसान के जीवन में पांच गुरुओं का विशेष महत्व होता है। इनमें प्रथम गुरु जन्म देने वाला, दूसरा गुरु शक्षा देने वाला, तीसरा गुरु संस्कार देने वाला, चौथा गुरु दीक्षा देने वाला और पांचवां गुरु समाधि मरण के समय का होता है। जन्म देने वाले और शिक्षा देने वाले दो गुरु तो सभी को मिल जाते हैं, लेकिन तीन गुरु विशेष पुण्य के उदय से ही मिल पाते हैं। गुरु के चरण कमल पकड़ने के बाद मन में गुरूर नहीं होना चाहिए। मोबाइल फोन की स्पीड बढ़ाने के लिए हम बीच-बीच में उसे रिफ्रेश कर लेते हैं उसी तरह जीवन को गुरु के आशीर्वाद से रिफ्रेश कर लेना चाहिए। यह विचार मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने बुधवार को नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मशाल में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा की ज्ञानी महापुरुष कहते हैं आत्मा के सुख को पाने के लिए पुरुषार्थ करें। वही सुख अनंत सुखमय है, स्वाधीन है, शाश्वत है। जिसे पाने के बाद वह आपको छोड़कर नहीं जाए। जो एक बार मिल जाए और हमेशा आपके साथ रहे, वो आध्यात्मिक सुख है। जो कभी भी चला जाए, वह भौतिक सुख है। भगवान महावीर ने आत्मा के सच्चे सुख को पाने के लिए भौतिक सुखों का त्याग किया। हम भगवान के अनुयायी हैं और हमें भी उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। आज नाश्वत सुख-संपत्ति के लिए सभी दौड़ रहे हैं। यह केवल अज्ञानता को दर्शाता है। इस मौके पर अभूतपूर्व वर्षयोग समिति के विनय कासलीवाल, पंकज बाकलीवाल, अनिल जैन, अजय जैन, विजय जैन, प्रकाश चंद जैन, राजीव जैन, विहर्ष युवा मंडल, आदि मौजूद थे।