नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में राजनीतिक वर्चस्व के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर आमने-सामने हैं। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सांसद बनने के बाद भी सिंधिया का ग्वालियर-चंबल अंचल की राजनीति और विकास कार्यों में सीधा दखल विधानसभा अध्यक्ष और उनके समर्थक ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह को रास नहीं आया। उन्होंने संगठन में विरोध व्यक्त किया।
संगठन स्तर पर अघोषित रूप से संसदीय क्षेत्र की हदबंदी कर दी गई। नतीजतन, केंद्रीय मंत्री ने विशेष रूप से ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों से दूरी तो बना ली, लेकिन सरकारी और पार्टी के मंच से उनके द्वारा लाए गए विकास कार्यों को गिनाना नहीं भूले।
दरअसल, मुरैना के इंडस्ट्रियल एरिया बानमोर में 21 अप्रैल 2025 को मुरैना सांसद शिवमंगल सिंह तोमर द्वारा कराए गए विकास कार्यों का लोकार्पण करते हुए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सिंधिया का नाम लिए बिना सीधे कटाक्ष किया कि कुछ लोग मैं लाया, मैं लाया... की राजनीति कर रहे हैं। जबकि, यह विकास कार्य भाजपा और सरकार की नीतियों का परिणाम है। किसी एक व्यक्ति को इसका श्रेय नहीं दिया जा सकता है।
इस बयान के छह महीने बाद सिंधिया ने तोमर के गृह जिले मुरैना पासपोर्ट केंद्र के लिए भूमि पूजन के साथ अपने विकास कार्य गिनाए, निरीक्षण किया और ग्वालियर कलेक्ट्रेट में अधिकारियों की बैठक लेकर संदेश दिया कि मैं आया।
यह भी पढ़ें- MP में सरकारी अस्पताल के शौचालय में हुआ प्रसव, सिर पर चोट लगने से नवजात की मौत
विधानसभा अध्यक्ष तोमर के इस कटाक्ष के छह माह तक खामोश रहे सिंधिया ने 13 सितंबर को मुरैना जिले में पासपोर्ट केंद्र के भूमि पूजन कार्यक्रम में अपने पुराने तेवर दिखाए। शक्ति प्रदर्शन करते हुए सार्वजनिक मंच से अपने विकास कार्य गिनाए। रविवार को ग्वालियर स्टेशन के पुनर्निर्माण का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। सोमवार को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट के साथ ग्वालियर जिले के अधिकारियों के साथ बैठक कर सिंधिया ने विकास कार्यों की समीक्षा की और एलिवेटेड रोड के प्रगति कार्य को भी देखा।
इससे पहले सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष ग्वालियर की सड़कों की हालत को लेकर विरोध दर्ज कराया था। इस सक्रियता के बाद अब नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया के बीच वर्चस्व के लिए घमासान तेज होने के आसार हैं, जिस पर सबकी नजरें लग गई हैं।