नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। 500 लोगों की आबादी वाला ललियापुरा तीन से चार फीट पानी में डूबा है। घर, रास्ते सब जलमग्न हैं। कहीं भी सूखी जमीन नजर नहीं आती। फर्श से लेकर छत तक की दीवारें गीली हो चुकी हैं और लोगों के रोजमर्रा के सामान पानी से खराब हो गए। सबसे चिंताजनक स्थिति उन 100 से अधिक लोगों की है जो अपने ही घरों में कैद हैं। रास्तों पर कमर से ऊपर तक पानी जमा है, जिससे निकलना नामुमकिन हो गया है। महिलाओं और बच्चों को किसी तरह बाहर निकाल कर रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित पहुंचाया गया है, लेकिन पुरुष घरों की सुरक्षा के लिए मजबूरी में वहीं रुके हैं।
जलभराव की आड़ में कुछ असामाजिक तत्व सक्रिय हो गए हैं, जिनसे लोगों को डर है। इसीलिए पुरुष अपने भीगे हुए घरों में चौकीदारी कर रहे हैं। हालांकि पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन अभी भी सामान्य स्थिति काफी दूर है। लगभग आधा सैंकड़ा से अधिक घरों की स्थिति तो ऐसी है जहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है। वहां लोग पूरी तरह से फंसे हुए हैं। ऐसे हालात में वे केवल प्रशासन की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं।
हुरावली : बैसली नदी के उफान से दुकान और घरों में भरा पानी हुरावली क्षेत्र भी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गया। बैसली नदी के उफान पर आने से कई घर और दुकानों में पानी भर गया। हुरावली चौराहे पर स्थित बाजार क्षेत्र जलमग्न हो चुका है। दुकानों में पानी घुसने से व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि महीनों की कमाई एक ही दिन में बर्बाद हो गई। दुकानों में रखा सारा सामान खराब हो गया है। कुछ दुकानों में तो अब तक पानी भरा हुआ है और वहां कोई प्रवेश तक नहीं कर सकता।
प्रशासन द्वारा राहत सामग्री पहुंचाने का प्रयास जारी है, लेकिन प्रभावित लोगों के मुताबिक ये प्रयास वास्तविक जरूरतों के मुकाबले बहुत कम हैं। भोजन, दवाइयां, स्वच्छ पानी और पुनर्वास की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। ललियापुरा और हुरावली क्षेत्र के रहवासी ही अकेले नहीं रो रहे, बल्कि शहर के अन्य क्षेत्रों में भी हालात खराब हैं। लोगों का कहना है कि जरूरत अब सिर्फ राहत की नहीं, बल्कि स्थायी समाधान की है।
ललियापुरा में वर्षा के दूषित पानी से यहां के रहवासियों को त्वचा रोग की समस्या झेलनी पड़ रही है। पैरों में घाव और हाथों पर खुजली की शिकायत सामने आ रही हैं। स्वास्थ्य शिविर में ऐसे कई लोगों का उपचार किया गया है। रहवासी फंगल इंफेक्शन, खुजली, दाने और एलर्जी जैसी समस्याएं से परेशान हैं। साथ ही पैरों और कमर पर रैशेज व लाल चकत्ते भी हो रहे हैं।
घर में पानी इतना भर गया था कि बच्चों, बुजुर्ग और बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर बाहर निकालना पड़ा। खाने को कुछ नहीं बचा, ऊपर से बीमारियां फैलने का डर है। खुजली की समस्या तो सामने आने लगी है। – जितेन्द्र भरदेले, निवासी ललियापुरा
2 पिछले सात दिन से जलभराव की स्थिति बनी हुई है। कई लोग अब भी घरों में फंसे हुए हैं। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। प्रशासन द्वारा पानी निकालने की कोशिश की जा रही है। – कमलेश पाल, निवासी ललियापुरा।
3 हम तो किसी तरह निकाल आए, लेकिन कई लोग अब भी फंसे हैं। चोरी का डर बना हुआ है। घर सूने न रहें इसलिए पुरुष घरों में रह रहे हैं। पानी धीरे-धीरे निकल रहा है। इससे उम्मीद जागी है कि राहत जल्द मिलेगी। - राजकुमार मुदगल, निवासी ललियापुरा।
अगर समय रहते अलापुर बांध के गेट खोल दिए जाते, तो हमारे घर में पानी नहीं घुसता। गृहस्थी का सामान खराब हो गया है। अब प्रशासन के अधिकारी मदद कर रहे हैं। पानी भी धीरे-धीरे निकल रहा है। - उमा पाल, निवासी ललियापुरा।
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