नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: ग्वालियर में पिस्टल रिवाल्वर के तीन नकली लाइसेंस मिले हैं। लाइसेंस सामने आने के बाद से हथियार लाइसेंस की प्रणाली कटघरे में आई है। पुलिस ने दो ठगों पर केस भले ही दर्ज कर लिया है, लेकिन इस सिस्टम में लीकेज है।
बता दें कि हथियार लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज जो डायरी के रूप में बनते हैं, वहीं डायरी लाइसेंसी हथियार विक्रेताओं के यहां सब्जी जैसी मिलती हैं। डेढ़ सौ, दो सौ रुपये में इसे कोई भी खरीद सकता है, कोई पूछने वाला नहीं है।
बता दें कि ग्वालियर में तीन फर्जी लाइसेंस के मामले में यही हुआ है, ठगों ने आनलाइन फार्म व मैन्युअल फार्म के जरिए झांसा देना शुरू किया। बाजार से डायरी खरीदकर हाथों से भर ली। जानकारी इस तरह भरी गई कि वह असली जैसी दिखे। अब लाइसेंस डायरी में साफ्टवेयर जनरेटेड स्लिप चिपकाई जाती है, लेकिन अभी भी यह स्लिप कोई और तैयार करके चिपका दे तो इसका कोई खास सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है।
बता दें कि ग्वालियर में तीन नकली लाइसेंस के मामले सामने आने के बाद प्रशासन व पुलिस में हड़कंप मच गया। इस मामले में शुक्रवार को एफआइआर दर्ज की गई है। पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी है। तीन लोगों से एक से डेढ-डेढ़ लाख रुपये ऐंठ लिए गए।
अंकित मौर्य व जयदीप सेंगर निवासी ग्वालियर इस मामले में आरोपी बने हैं। जिन तीन लोगों के नकली लाइसेंस बने उनमें शामिल जयदीप राजावत की जनवरी में अंकित मौर्य से मुलाकात हुई थी। इसके बाद जयदीप सेंगर बीच में जुड़ा और तीन लोगों के साथ ठगी हुई। इस रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।
हथियार विक्रेताओं के यहां लाइसेंस की जो डायरियां मिलती हैं, वे भारत सरकार लिखित व प्रिंटेड मिलती हैं। इन पर लाइसेंस धारक की जानकारी के पेज सहित अंदर खाली पेज होते हैं, यह अलग-अलग दामों में आती हैं, इस पर कोई कोडिंग व सीरियल नंबर नहीं होता है, जिससे पहचान की जा सके। डीलर भी खुलेआम इसे बेचते हैं, कोई रोकटोक नहीं है।
मामले में अंकित मौर्य व जयदीप सेंगर की तलाश पुलिस कर रही है। विवि थाना पुलिस के अनुसार जयदीप और अंकित ने और लोगों को भी ठगा हो, यह संभव है। सतीश सोनी के साथ अमित, ऐंदल व रामनिवास की भूमिका की पूरी जांच की जा रही है। इनमें से कोई भी ऐसा निकला, जिसने खुद नकली डायरी बनवाने में सहमति दी हो या जानबूझकर दूसरे की नकली डायरी बनवाने में शामिल हुआ तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
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नकली लाइसेंसों में हाथ से डायरी को भरा गया है, तीनों नकली लाइसेंसों में एक ही हैंडराइटिंग है, जो हथियार व लाइसेंस के बारे में जानकारी रखता है। जयदीप व अंकित में से यह राइटिंग किसी एक की हो सकती है, जो पकड़ने के बाद ही पता चलेगा।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय थाना निरीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि आरोपी अंकित व जयदीप की तलाश चल रही है, ये कहीं छिप गए हैं, संभव है इन्हें पता चल गया है कि इनकी तलाश है। नकली लाइसेंस जिनके नाम बने, वे सभी व अन्य पात्र सभी की जांच जारी है।