नईदुनिया प्रतिनिधि, हरदा। मौसम की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हुई है। उम्मीद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से थी, लेकिन उसमें भी आपदा प्रभावित किसानों के साथ मजाक किया गया है। हरदा में एक किसान को प्रति एकड़ 23 रुपये का बीमा मुआवजा मिला है। किसान वह चेक लेकर सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचा और अधिकारियों से कहा कि यह रकम वे ही रख लें।
हरदा जिले के सोनतलाई गांव के किसान बृजमोहन विश्नोई सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने बताया कि 2022-23 में उनके 92 एकड़ संयुक्त खेत में सोयाबीन बोया गया था। अतिवृष्टि की वजह से फसल गल गई। उनका उत्पादन जो सामान्य तौर पर छह क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक होता था, वह उस साल मुश्किल से तीन क्विंटल प्रति एकड़ पर सिमट गया। सरकार से मदद नहीं मिली।
उम्मीद थी कि फसल बीमा से उसकी भरपाई हो जाएगी। अभी बीमा कंपनी ने उन्हें उस साल की नुकसानी के बीमा दावे के तौर पर 2178 रुपये का चेक भेजा है। यह रकम प्रति एकड़ मात्र 23 रुपये बैठती है। जबकि उस फसल के लिए उनसे प्रति एकड़ 1300 रुपये तो बीमा प्रीमियम के रूप में वसूले गए थे।
बीमा राशि से कई किसान असंतुष्ट हैं। किसान आक्रोश मोर्चा के तहत सोमवार को किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध भी जताया। किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि जिले के कई गांवों में तो यह राशि भी नहीं मिली है। कई किसानों को जमा कराए गए प्रीमियम से भी कम मुआवजा दिया गया। किसान पवन विश्नोई ने कहा कि इस विसंगति को जल्द दूर नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा।
सीहोर प्रशासन का दावा है कि दो लाख 79 हजार 761 किसानों को कुल 61 करोड़ 29 लाख 80 हजार 332 रुपये बीमा राशि जारी की गई है। हकीकत यह है कि यह भुगतान तीन सीजन रबी 2023, खरीफ 2024 और रबी 2024 की फसलों का है। किसानों का कहना है कि उन्हें औसतन प्रति एकड़ 175 रुपये से भी कम का बीमा दावा मिला है। रबी 2024 में किसानों को सबसे कम राशि मिली। यही कारण है कि किसान सरकार के इस बीमा मुआवजे के पैमाने पर सवाल उठा रहे हैं। किसानों का कहना है कि फसल बीमा योजना के तहत क्लेम राशि इतनी कम क्यों दी गई, यह अब तक स्पष्ट नहीं है।
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