नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। 13 वर्षीय जैन मुनि विजयचंद्र सागर महाराज ने रविवार को अपनी स्मरण शक्ति और साधना से हजारों लोगों को चकित कर दिया। रेसकोर्स रोड स्थित अभय प्रशाल में तीन घंटे चले कार्यक्रम में उन्होंने पूछे गए प्रश्नों को याद रख उल्टे, सीधे और रेंडम क्रम में दोहराया। उनसे देश-राज्य, नदियों के नाम, जैन धर्म से जुड़े सवालों के साथ गणित के प्रश्न भी पूछे गए।
आयोजन स्थल को आठ भागों में विभक्त कर उन्हें डायमंड, गोल्ड, सिल्वर, ए, बी, सी, डी ब्लाक के नाम दिए गए थे। कार्यक्रम की शुरुआत के पहले सभी आगंतुकों को नोटबुक और पेन दिए गए, ताकि वे बाल मुनि से 10 हिस्सों में एक से 10 क्रम तक के सवाल पूछकर उन्हें लिखते जाएं और जब बाल मुनि उनका उत्तर दें, तब उनके सही या गलत होने का मिलान कर सकें। सभी ब्लाक में वायरलेस माइक लिए कार्यकर्ता मौजूद थे।
आम श्रोताओं और दर्शकों ने बाल मुनि से प्रश्न किए। इस दौरान उनकी स्मरण शक्ति की प्रशंसा में कई बार तालियां गूंजी। इस अवसर पर आचार्य नयचंद्र सागर सूरि और गणिवर्य डॉ. अजितचंद्र सागर उपस्थित थे। गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इस पूरे आयोजन को पांच विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया।
इस मौके पर सांसद शंकर लालवानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, गोसेवा आयोग भारत सरकार के परेश शाह, मुंबई के जिग्नेश दोशी, राजस्थान के पूर्व खनिज मंत्री प्रमोद भाया जैन आदि उपस्थित थे। स्वागत संयोजक ललित सी. जैन, अक्षय सुराना, देवेंद्र जवेरी, संदीप पोरवाल, निशांत कोठारी, प्रीतेंद्र मेहता, पीयूष मेहता आदि ने किया। संचालन विपिन शतावत और जय लुणिया ने किया।
नौवें क्रम पर बाल मुनि को एक खुशबू की पहचान करनी थी और 91 से 98 नंबर के सवालों में उन्हें घंटनाद के बीच उनकी गणना कर उन सभी दिखाई वस्तुओं के सही जवाब देने थे। 99 नंबर का प्रश्न सर्वतोभद्र यंत्र से जुड़ा था और 100वां प्रश्न चक्र भेद का था, जो सबसे कठिन था, जिसमें पांच चक्रों को घुमाने के बाद सबकी संख्या एक समान आनी थी। घंटनाद की संख्या और दो अलग-अलग घंटियों की ध्वनि को भी उन्हें पहचानना था।
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