नईदुनिया न्यूज , बरवेट-झाबुआ। दस साल बीत चुके हैं, आज भी मित्र याद आता है। उसने यदि हेलमेट पहना होती तो वह बच सकता था। उस घटना से सबक लेकर वे जरूर हेलमेट का नियमित उपयोग करने लगे हैं, साथ ही दूसरों को भी प्रेरित करते रहते हैं। यह कहना है बरवेट के सहायक शिक्षक अश्विन पाटीदार का।
अश्विन पाटीदार ने बताया कि उनका एक शिक्षक मित्र मोटर साइकिल से नियमित स्कूल आना-जाना करता था। एक दिन शाम को स्कूल से घर लौटते समय वह मोटर साइकिल से अचानक गिर पड़ा। सिर में चोट आई और यही मौत का कारण बन गई। यदि हेलमेट पहना होती तो उनका शिक्षक दोस्त बच सकता था। थोड़ी-सी गलती बहुत भारी पड़ गई।
पाटीदार ने बताया कि उस दुर्घटना से उन्हें समझ में आया कि हेलमेट पहनना कितना जरूरी है। इस नियम का पालन करके हर कोई बड़ी मुसीबत से बच सकता है। वे खुद भी उक्त दुर्घटना से सबक लेकर नियमित हेलमेट का उपयोग करते हैं। हेलमेट पहनना न केवल कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह हमारी सुरक्षा के लिए भी बहुत ज़रूरी है।
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सेवानिवृत प्राध्यापक डाक्टर प्रदीप संघवी का कहना है कि हेलमेट नहीं पहनने का सीधा मतलब यह है कि व्यक्ति अपने परिवार के प्रति जवाबदार नहीं है। हेलमेट पहनकर खुद की नहीं बल्कि परिवार की भी व्यक्ति सुरक्षा करता है। जब घर का मुखिया ही हादसे में चल बसता है तो परिवार के सदस्यों को सबसे अधिक तकलीफ उठाना पड़ती है, इसीलिए हर किसी से उसकी पत्नी व बच्चे यह जरूर पूछते हैं कि घर कब लौटेंगे ? यदि इस सवाल को कोई गंभीरता से लेगा तो वह कभी बगैर हेलमेट पहने घर से बाहर नहीं निकलेगा ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएस बघेल कहते हैं कि हर सड़क हादसे की कहानी एक जैसी ही रहती है। वाहन चालक हेलमेट पहनते ही नहीं है। सड़क हादसे के शिकार होते हैं। फिर उन्हें अस्पताल लाया जाता है। हर डॉक्टर घायल मरीज को बचाने की कोशिश करता है। जब अधिक व गंभीर चोट सिर पर लग जाती है तो जान बचाना कठिन हो जाता है।