नईदुनिया प्रतिनिधि,इंदौर: इंदौर के शासकीय स्कूल की शिक्षिका ने अपनी बीमारी से परेशान होकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से ईच्छा मृत्यू (euthanasia) की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने पत्र लिखा है, उन्होंने अपनी पुरी संपति भी स्कूल के छह बच्चों के नाम कर दी है। शिक्षिका आस्टिओजेनेसिस इमपरफेक्टा एक प्रकार की हड्डियों की गंभीर बीमारी से पीड़ित है।
शिक्षिका चंद्रकांता जेठवानी ने बताया कि मैं अब ईच्छा मृत्यू चाहती हूं। क्योंकि रोजाना आठ घंटे व्हीलचेयर पर रहना पड़ता है। परिवार में कोई भी नहीं है। इस हालत में अकेली का रहना मुश्किल है। असहनीय दर्द से काफी परेशान हो गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इंदौर के एक आर्थोपेडिक सर्जन की गलती के कारण उनकी यह हालत हुई है। डॉक्टर को यह पता होना चाहिए कि इस बीमारी में दवाई रिएक्ट कर सकती है। मेरी पुरी बाडी खींचा गई, कंधे से हाथ टूट गया है। इलाज के बाद शरीर का निचला हिस्सा पैरालाइज हो गया है।
वहीं अब इस मामले में सामाजिक न्याय विभाग की टीम शुक्रवार को शिक्षिका के पास जाएगी। प्रभारी संयुक्त संचालक पवन चौहान ने बताया कि दिव्यांग पुर्नवास केंद्र से मनोचिकित्सकों की टीम शिक्षिका की काउंसलिंग के लिए जाएगी।
असहनीय दर्द के बाद भी शिक्षिका ने बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा है। वह नियमित आटो रिक्शा से जबरन कॉलोनी स्थित शासकीय स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए आती है। पुरे समय व्हील चेयर पर ही रहती है। बच्चों के सामने कभी अपना दुख व्यक्त नहीं करती है। वह यहीं सीखाती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारना चाहिए।
शिक्षिका ने पत्र में लिखा कि मैं आत्महत्या नहीं करूंगी, क्योंकि मैं बच्चों को आत्मविश्वास और जीने की सीख देती हूं। अगर मैं खुद ही हार मान लूं, तो मेरा शिक्षकीय आदर्श टूट जाएगा। लेकिन अब शरीर ने साथ देना बंद कर दिया है। हर दिन असहनीय पीड़ा से गुजरती हूं। इसलिए इच्छा मृत्यु मांग रही हूं, ताकि गरिमा के साथ अलविदा कह सकूं।
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मेरे अंग कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा कीमती हैं, अगर वे किसी की रोशनी बन सकें। तो मृत्यु के बाद भी मैं किसी के काम आ सकूं, यही मेरा अंतिम उद्देश्य है।
चंद्रकांता ने मकान, अन्य संपत्ति और बैंक बैलेंस अपने स्कूल के 6 बच्चों के नाम कर दिए हैं। करीब डेढ़ करोड़ की संपत्ति के लिए उन्होंने रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर छह वसीयत बनवाई है। परीक्षा में ए ग्रेड लाने वाले बच्चों का चयन किया है। इनमें पांच लडक़े और एक लडक़ी है। सभी बच्चों के 18 साल के होने पर उनके हिस्से का पैसा बैंक में जमा किया जाएगा।