
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (ट्रांसको) की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर राजेंद्र नगर क्षेत्र के अभीर विहार में मंगलवार को एक युवक की मौत हो गई। यह 20 दिन में दूसरी दुर्घटना है। 11 अक्टूबर को खंडवा रोड की साईंबाग कालोनी में वेल्डिंग करते समय दो मजदूर भी इसी तरह की दुर्घटना का शिकार हुए थे।
ट्रांसमिशन कंपनी ने पहले ही इन स्थानों पर निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी किए थे, लेकिन लोगों ने ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप लगातार जानमाल का नुकसान हो रहा है।
पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अनुसार 220 केवी सबस्टेशन साउथ जोन से निकली 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन केट रोड से गुजर रही है। इस क्षेत्र में कई लोगों ने ऊंचे मकान बना लिए हैं, जो खतरनाक हैं। हालिया दुर्घटना भी एक ऐसे मकान में हुई, जिसे पहले ही निर्माण हटाने के लिए नोटिस दिया गया था।
युवक दीपावली की सजावट के लिए लाइट की झालर लगा रहा था। जब उसने झालर को गैलरी से फेंका, तब वह करंट की चपेट में आ गया और झुलस गया।
ट्रांसको के अनुसार 132 केवी लाइन में एक लाख 32 हजार वोल्टेज होता है और इसके तारों से 13 मीटर दूर तक करंट का प्रभाव रहता है। इसे इंडक्शन प्रभाव कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति तार को छुए बिना भी झुलस सकता है।
एमपी ट्रांसको इंदौर की अतिरिक्त मुख्य अभियंता नीलम खन्ना ने बताया कि जिस मकान (क्रमांक 71, अभीर विहार कालोनी) में यह हादसा हुआ, उसके मालिक को पहले ही नोटिस जारी किया गया था। कंपनी ने व्यक्तिगत रूप से परिवार को चेताया था कि वे निर्माण कार्य रोकें, लेकिन चेतावनी की अनदेखी की गई।
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पिछले महीनों में इंदौर में ट्रांसमिशन लाइनों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में निर्माण करने वालों को 1031 नोटिस दिए जा चुके हैं। इन क्षेत्रों में मुनादी भी करवाई गई, लेकिन लोग निर्माण करने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। घरेलू बिजली की तुलना में ट्रांसमिशन लाइनों में प्रवाहित धारा लगभग 600 से 950 गुना अधिक घातक होती है। कंपनी अब प्रशासन से आग्रह कर रही है कि ऐसे निर्माणों को हटाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं रोकी जा सकें।