नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) ने स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की परीक्षा फीस में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद यह फैसला लिया गया, जिससे करीब तीन लाख विद्यार्थियों पर 80 से 120 रुपये तक का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। नई दरें अक्टूबर से होने वाली सभी परीक्षाओं में लागू होंगी।
चार साल बाद संशोधन
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि चार साल बाद फीस में यह संशोधन किया गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान फीस में कोई बदलाव नहीं हुआ था। लेकिन 2024 से खरगोन विश्वविद्यालय बनने के बाद डीएवीवी से लगभग 80 कॉलेज अलग हो गए हैं। इन कॉलेजों में पढ़ने वाले 80 से 90 हजार विद्यार्थियों की फीस अब डीएवीवी को नहीं मिलेगी, जिससे विश्वविद्यालय की आय पर असर पड़ा है।
डीएवीवी हर साल 800 से ज्यादा मुख्य, पूरक और एटीकेटी परीक्षाएं आयोजित करता है। बीए, बीकॉम, बीएससी, बीएचएससी, बीजेएमसी, बीएसडब्ल्यू जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं अप्रैल से जून में होती हैं। वहीं एमए, एमकॉम, एमएससी, एमएसडब्ल्यू और एमबीए जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं दिसंबर और मई में सेमेस्टर आधार पर आयोजित की जाती हैं। इन सभी परीक्षाओं में अब बढ़ी हुई फीस लागू होगी।
इतनी होगी अतिरिक्त कमाई
विश्वविद्यालय प्रशासन का अनुमान है कि फीस वृद्धि से दो से तीन करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। वर्तमान में परीक्षाओं से डीएवीवी को हर साल लगभग 15 करोड़ रुपये की आय होती है। नई बढ़ोतरी से यह आय और बढ़ जाएगी।
कार्यपरिषद ने यह भी तय किया है कि अब हर साल फीस में 8 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि अतिरिक्त आय से परीक्षा प्रबंधन और व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकेगा।
कुछ विद्यार्थियों ने कहा कि थोड़ी बहुत फीस वृद्धि से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन हर साल फीस बढ़ाने का फैसला उन पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। वहीं, विश्वविद्यालय का तर्क है कि परीक्षा प्रणाली को आधुनिक और सुदृढ़ बनाने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है।
डीएवीवी परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी ने बताया कि कोविड-19 के चलते कुछ साल फीस नहीं बढ़ाई गई थी। मगर अब हर साल फीस वृद्धि के प्रस्ताव कार्यपरिषद में रखे जाएंगे और आगामी परीक्षाओं से नई दरें लागू कर दी जाएंगी।