पं. भीमसेन जोशी से लेकर जाकिर हुसैन जैसे ख्यात कलाकार आए दरबार में मत्था टेकने
रामकृष्ण मुले, इंदौर Shani Jayanti Indore। शहर के पश्चिम क्षेत्र के जूनी इंदौर में 500 साल पुराना शनि मंदिर शनि भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। 60 बाय 40 में बना यह प्राचीन शनि मंदिर शनि भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र है। यहां लाल पत्थर के सिंहासन पर विराजित पांच फीट ऊंची और तीन फीट चौड़ी शनि प्रतिमा का तिल-तेल से अभिषेक करने हजारों श्रद्धालु हर शनिवार को उमड़ते हैं। इस प्राचीन मंदिर के बारे में बताया जाता है कि औरंगजेब की कैद से जब शिवाजी आजाद हुए थे तो वे शहर के इंदेश्वर महादेव मंदिर के साथ जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर में भी दर्शन के लिए आए थे।
मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण, शंकर पार्वती, गणेश और बाल हनुमान और देवी महालक्षमी भी विराजित है। मंदिर के पुजारी पं. मधुसुदन तिवारी बताते है कि आगरा के किले से जब छत्रपति शिवाजी महाराज आजाद हुए थे तो वे शनि मंदिर भी दर्शन के लिए आए थे। मंदिर के पीछे मराठों का हकीम वाड़ा भी था। यहा पं. भीमसेन जोशी, प. जसराज, गुलाम अली, जाकिर हुसैन, सोनू निगम जैसे ख्यात कलाकार मत्था टेकने आ चुके हैं। शनि प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ा हुआ है। अभी तक उनकी प्रतिमा ने चोला नहीं छोड़ा।
शनिदेव ने भगवान राम के लिए छोड़ा अपना स्थान
मंदिर के बारे में कई कथा प्रचलित है। बताया जाता है कि यहां विराजित शनिदेव की प्रतिमा स्वयंभू है। मंदिर के स्थान पर 20 फीट ऊंचा टीला और उसके पास एक कुआं था। जहां पुजारी परिवार के पूर्वज गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे। यहां शनिदेव देव ने स्वप्न में आकर उनसे कहा कि वह उनकी स्थापना करे। इस पर उन्होंने अपने अंधत्व का हवाला देते हुए असमर्थता जताई। इसके बाद उनके नेत्रों की ज्योति वापस आ गई। टीले को खोदने पर शनि देव की प्रतिमा मिली। प्रतिमा को बाहर निकालकर स्थापना की गई।
इस प्रतिमा के साथ एक कथा यह भी जुड़ी है कि पहले वर्तमान में स्थित राम मंदिर के स्थान पर शनि भगवान विराजित थे लेकिन एक रात प्रतिमा ने अपना स्थान बदल लिया। यह वहीं स्थान है जहां वर्तमान में प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि भगवान राम के लिए शनिदेव ने अपना स्थान छोड़ दिया।
शनि जयंती पर आज होंगे ये आयोजन
शनि मंदिर जूनी इंदौर : शनि जयंती पर 10 जून को जूनी इंदौर शनि मंदिर में कई आयोजन होंगे। कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस अवसर पर दोपहर 12 बजे जन्म आरती होगी। दोपहर 1.30 भजन और शाम 5.30 बजे सुंदरकांड का पाठ होगा। भक्त इनका लाभ आनलाइन ले सकेंगे।
मंशापूर्ण शनि मंदिर जिंसी चौराहा : दो दिवसीय शनैश्चर जयंती महोत्सव की शुरुआत कोरोना गाइडलाइन के पालन के साथ बुधवार को हुई। यंग इंडिया क्लब के अध्यक्ष श्याम अग्रवाल, सतीश सेन पहले दिन मंदिर में फूल बंगला सजाया गया। शनि जयंती पर महाआरती, वटवृक्ष पूजा, प्रसाद वितरण के साथ विभिन्न अनुष्ठान होंगे।
गजासीन शनि मंदिर उषानगर : शनिदेव को इस मौके पर चांदी का मुकुट पहनाकर श्रृंगार किया जाएगा। भगवान के दर्शन आनलाइन होंगे। ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र नदियों के जल से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद तिल्ली और सरसो के तेल से अभिषेक किया जाएगा। दोपहर 12 बजे जन्म आरती होगी।
पुत्र के जन्म पर लगेगा पिता को ग्रहण
पुत्र शनिदेव के जन्म पर 10 जून को पिता सूर्य देव को ग्रहण लगेगा। हालांकि यह ग्रहण देश में दिखाई नहीं देने से इसका धार्मिक महत्व नहीं रहेगा। भारतीय समयनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को भारतीय समय अनुसार ग्रहण दोपहर 1.42 से शाम 6.40 बजे तक रहेगा। महामंडलेश्वर दादू महाराज के अनुसार अमावस्या तिथि शाम 4.22 बजे तक रहेगी। इस दिन शूल व धृति योग रहेगा।