Heritage Of Indore: इंदौर की छत्री, जहां लगने लगा पर्यटकों का मेला, शुरू हुआ शूटिंग का सिलसिला
Heritage Of Indore:छत्री की खूबी यह है कि यहां की प्रतिमाएं मराठा शैली में बनी हैं जबकि छत्री का शिखर पंचरथ शैली का है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 28 May 2022 09:24:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 28 May 2022 09:24:53 AM (IST)

Heritage Of Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इस शहर ने केवल होलकर शासनकाल की गौरवशाली परंपरा ही नहीं देखी बल्कि वक्त के साथ धरोहर की बिगड़ती तस्वीर भी देखी और उसे दुबारा संवारने के सार्थक प्रयास का भी यह शहर साक्षी रहा। इसका एक उजला रूप इन दिनों छत्रीबाग क्षेत्र में बनी मल्हार राव होलकर द्वितीय के चचेरे भाई हरिराव होलकर की छत्री के रूप में देखा जा सकता है। इसे स्मार्ट सिटी ने करीब 4.42 करोड़ रुपये की लागत से संवारा और अब यहां पर्यटकों के साथ-साथ शूटिंग करने वालों को भी मौका दे रहा है। करीब तीन साल में संवरी इस छत्री की सूरत अब बेहतर ढंग से नजर आने लगी है जहां बगीचे के साथ-साथ पार्किंग की भी सुविधा पर्यटकों को मिलने लगी और सूरज ढलने के बाद रोशनी की जगमगाहट से यहां की रंगत बढ़ने लगी।
17 अप्रैल 1834 में कृष्णा बाई होलकर की सहमति से हरिराव का राज्याभिषेक हुआ था। 26 अक्टूबर 1843 को उनके निधन के बाद इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार कर छत्री का निर्माण किया गया। कहने को तो यह हरिराव होलकर की छत्री है लेकिन इस परिसर में तात्या जोग (विट्ठल राव किबे), बापूराव आदि की छत्री भी बनी है। गणगौर घाट के समीप बनी इस छत्री में देवी-देवताओं की मूर्तियां तो अंकित हैं ही, साथ ही आखेट, प्रेम, शासन, गुरु, नारी श्रृंगार, महाभारत और रामायण के दृश्य, पूजन के दृश्य भी पत्थरों को तराशकर अंकित किए गए हैं। मुख्य छत्री में भगावान शिव के साथ हरिराव होलकर और उनकी पत्नी की प्रतिमाएं भी हैं जिनकी पूजा आज भी खासगी ट्रस्ट के तहत होती है लेकिन छत्री की देखभाल स्मार्ट सिटी के तहत हो रही है।
इस छत्री की खूबी यह है कि यहां की प्रतिमाएं मराठा शैली में बनी हैं जबकि छत्री का शिखर पंचरथ शैली का है। जिस तरह से ऋषियों आदि की प्रतिमाएं बनी हैं, उससे वह दक्षिण भारतीय मंदिर स्थापत्य शैली में निर्मित शिखरों के समान दिखाई देती है। ये काले पत्थर की हैं जबकि कलाकृतियां लाल पत्थर की बनी है। यहां खूबसूरत बावड़ी भी बनी है। इन तमाम खूबियों के कारण यह स्थान केवल सैलानियों को ही पसंद नहीं आ रहा बल्कि फोटोशूट, वीडियो शूटिंग के लिए भी पसंद किया जा रहा है।
12 घंटे खुली रहती है छत्री
स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषव गुप्ता के अनुसार इस छत्री का जीर्णोद्धार 4.42 करोड़ रुपये में हुआ। जीर्णोद्धार के साथ यहां प्रकाश व्यवस्था भी की और बगीचा व पार्किंग भी बनाई। सुबह 7 से शाम 7 बजे तक पर्यटकों के लिए यह छत्री खुली रखने का निर्णय इसलिए ही लिया ताकि अधिक लोग यहां आ सकें। प्रवेश शुल्क होने से अब असामाजिक तत्व यहां नहीं आ रहे और इसकी देखभाल भी हो पा रही है।