
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग की शिकायत झूठी निकली है। जांच कमेटी ने करीब 120 बच्चों के लिखित बयान लिए है, इनमें से किसी ने भी रैगिंग होने की घटना की पुष्टि नहीं की है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, दो माह पहले भी भी छात्रा ने शिकायत की थी, जिसे वापस ले ली थी।
कई बार जूनियर दबाव में आकर जांच कमेटी के सामने बोलने में बचते हैं, क्योंकि यदि उनकी पहचान उजागर हो जाती है तो उन्हें परेशान किया जाता है। दो दिन पहले हुई शिकायत में आरोप लगा था कि पूर्व में रैगिंग के आरोप में सस्पेंड हुए सीनियर ने निजी फ्लैट पर बुलाकर मारपीट की और डांस करवाया। साथ ही उन्हें शराब पीने के लिए भी मजबूर किया। शिकायत के बाद एंटी रैगिंग कमेटी ने पुरे मामले की जांच की। बता दें कि यह पत्र पहली मंजिल पर फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष के कार्यालय में मिला था।
जानकारी अनुसार जिस जूनियर के साथ रैगिंग हुई थी वह इंदौर के बड़े डॉक्टर का बेटा है। वहीं जिस सीनियर पर रैगिंग का आरोप लगा है, वह भी शासकीय डॉक्टर का बेटा है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज अब उस महिला के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में है, जिसने शिकायत का पत्र रखा था। क्योंकि झूठी शिकायत करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यह महिला भी डॉक्टर है, जिनके बेटे के साथ रैगिंग हुई थी।
डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि कई बार एक-दूसरे को परेशान करने के उद्देश्य से भी शिकायत करते हैं। यह भी ऐसा ही लग रहा है क्योंकि सीनियर-जूनियर छात्रों के बयान लिए गए और व्यक्तिगत रूप से भी पूछताछ हुई, लेकिन रैंगिग की घटना से इंकार कर रहे हैं। वार्डनों को नियमित होस्टल राउंड के निर्देश दिए गए हैं। विभागाध्यक्षों से कहा गया है कि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को कक्षाओं में संयमित व्यवहार को लेकर नियमित समझाइश दी जाए।
यह पहली बार नहीं है जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग की शिकायत हुई है। इससे पहले दिसंबर 2024 में प्लीज हेल्प मी नाम से बनाए गए एक्स अकाउंट पर होस्टल में रैगिंग की शिकायत हुई थी। इसमें 54 विद्यार्थियों के कमेटी ने बयान लिए थे। लेकिन सभी ने रैगिंग होने से इंकार कर दिया था।
यूजीसी दिल्ली में की शिकायत में विद्यार्थी ने बताया था कि वर्ष 2018 के सीनियर द्वारा रोजाना 11 बजे से सुबह 6-7 बजे तक होस्टल की छत पर होने वाली रैगिंग से प्रताड़ित हूं। दो वर्ष में आठ से अधिक बार रैगिंग की शिकायत हुई है, लेकिन हर बार विद्यार्थियों को जब एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा बुलाया जाता है तो सीनियर के डर से लिखित में देते हैं कि हमारे साथ कुछ नहीं हुआ है। दो माह पहले छात्रा ने भी शिकायत वापस ली थी।