
Crime File Column Indore: मुकेश मंगल, इंदौर (नईदुनिया)। नगरीय सीमा में पदस्थ एक डीसीपी का अपराधियों को सबक सिखाने का अंदाज खूब चर्चा में है। विवादित लोग उनके दफ्तर पहुंचे और डंडे से 'स्वागत' न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। कभी-कभी तो कार्यालय लाने वाले पुलिसकर्मी घबरा जाते हैं, लेकिन साहब के हाथ छूटने के बाद रुकते नहीं हैं। डीसीपी की क्षेत्र पर पैनी नजरें हैं। अशांति फैलाने वालों के लिए सख्त निर्देश हैं कि उन्हें सुबह कार्यालय में पेश किया जाए। साहब शांतिपूर्वक पूरा वृतांत सुनते हैं। इसके बाद तय होता है कि कौन थर्ड डिग्री का हकदार है और कौन जेल का। अब तो आलम यह है कि डीसीपी के कुर्सी से उठते ही पेश करने वाले पुलिसकर्मी थर-थर कांपने लगते हैं। उनके सामने समस्या यह है कि कभी-कभी साहब कोर्ट पेशी पर आने वाले मुलजिमों की वकीलों के सामने धुनाई कर डालते हैं।
नई पदस्थापना में महिला निरीक्षकों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। विभिन्न जिलों से नगरीय सीमा में आई इन निरीक्षकों को थाना नहीं दिया गया। जो थानों में पदस्थ थी, उन्हें भी पुलिस लाइन रवाना कर दिया। गृह मंत्रालय में भी इसकी शिकायत पहुंची है। निरीक्षक सोमा मलिक, अलका मेनिया उपाध्ये, रानी बैग और निरीक्षक कौशल्या पुलिस लाइन में पदस्थ हैं। थाना प्रभारियों की नवीन पदस्थापना के दौरान कयास लगाए गए कि कुछ थानों में महिला निरीक्षकों को भी पदस्थ किया जाएगा। पोस्टिंग तो नहीं हुई बल्कि द्वारकापुरी थाने से अलका मेनिया को हटाकर पुलिस लाइन रवाना कर दिया। शिकायत में तो यह भी लिखा है कि शहर के बड़े थानों पर महिला अफसर ही नहीं है। दुष्कर्म और छेड़छाड़ के प्रकरणों में पुरुष पुलिसकर्मियों को महिलाओं से बात करनी पड़ती है। मेडिकल और एफआइआर के लिए दूसरे थानों से महिला अफसर बुलाई जाती है।
आयुक्त कार्यालय के पुलिसवाले थानों के पुलिसकर्मियों को निपटा रहे थे। एडिशनल सीपी (अपराध/मुख्यालय) राजेश हिंगणकर ने खुद गड़बड़ी पकड़ी है। नाराज एडिशनल सीपी ने एक साथ 13 पुलिसकर्मियों को सजा भी सुना दी। लापरवाह पुलिसकर्मी वेतनमान, ओबी शाखा, जीपीएफ, पेंशन शाखा में पदस्थ हैं। एडिशनल सीपी को खबर मिली थी कि सभी महत्वपूर्ण शाखाओं में जमा कर्मचारी/अधिकारी बेहतरीन कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को मिलने वाले इनाम की एसीआर में इंद्राज ही नहीं कर रहे हैं। एडिशनल सीपी ने तत्काल सूची बनाई और एसआइ सोहन यादव, नम्रता शेहरा, अजय, रोहित, सतीश, रितेश पाटीदार, सतीश, नेहा पटेरिया, निशा चौहान, रीना पाल, सरिता श्रीवास्तव, मंजू को सजा सुना दी। सैकड़ों पुलिसकर्मियों का इनाम रोकने वाले इन सभी पुलिसकर्मियों की एक वर्ष के लिए असंचय वेतनवृद्धि रोक दी। आयुक्त कार्यालय में वर्षों से चल रही गड़बड़ियों पर अफसर ध्यान नहीं देते थे। पलासिया कंट्रोल रूम आने के बाद आयुक्त मकरंद देऊस्कर 35 लोगों को लाइन भेज चुके हैं।
कोतवाली पुलिस के लिए एक तिजोरी सिरदर्द बन गई है। पुलिस न जब्त कर पा रही न सुपुर्दगी दे रही है। वर्षों पुरानी इस तिजोरी में क्या है यह भी नहीं पता। पुलिस मालिक को ढूंढ रही है। बताते हैं सियागंज में कुछ शराबी हम्मालों की खबर पर बीट में घूम रहे पुलिसवाले तिजोरी थाने ले आए थे। अफसर उसका वजन देखकर चौंक गए। अंदाजा लगाया गया कि चोर वजन देखकर छोड़ गए हैं। सियागंज में व्यापारियों को खबर भी करवाई। एक महीने बाद भी किसी ने खबर नहीं ली। उत्कर्ष नामक एक दुकानदार ने दावा जताया लेकिन वैध दस्तावेज नहीं ला सका। उसने कहा कि ऋण न चुकाने पर बैंक ने दुकान सील की थी। कोर्ट के आदेश पर दुकान खाली की तो मजदूर नशे में तिजोरी छोड़ गए। पुलिस ने जैसे ही पंचनामा बनाकर तिजोरी खोलने का कहा तो दावेदार भी गायब हो गया।