
रामकृष्ण मुले, नईदुनिया, इंदौर। संसार के वैभव को छोड़कर सिंकदराबाद के उच्च शिक्षित संपन्न परिवार के 27 वर्षीय कौशिक कुमार खांटेड़ इंदौर में दीक्षा लेकर 23 नवंबर को साधु वेश धारण करेंगे। उनके साधु वेश धारण करने से पहले की कहानी भी विशेष है। वे नानी को मां और मौसियों को जीजी कहकर पले-बढ़े। ज्वेलरी के कारोबारी परिवार के उच्च शिक्षित इकलौते बेटे होने के बाद भी उन्होंने सांसारिक वैभव को त्याग कर वैरागी जीवन जीने का निर्णय लिया। इसके लिए पिछले दो वर्ष में संतों के सान्निध्य में कई किलोमीटर विहार, तीर्थ दर्शन और तप साधना की।
कौशिक को जन्म देकर मां से बहन बनने वाली संगीता गिरिया बताती हैं कि हम पांच बहनों के बाद भाई का जन्म हुआ था, लेकिन 13 साल की उम्र में जब वह शाम को कोचिंग जा रहा था तो ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। दुर्घटना में उसकी मौत हो गई और इसके बाद ट्रक ड्राइवर ने सरेंडर भी कर दिया। बेटे की मौत से माता-पिता बहुत दुखी थे लेकिन उस पर पिता ने किसी तरह केस दर्ज नहीं कराया। तब तक हम दो बहनों की शादी हो गई थी तो मेरी सास ने कहा कि तुम दोनों में जिन्हें भी पहले बेटा हो वह उसे अपनी मां को दे दे।
इसके बाद मुझे बेटा हुआ और जब वह 13 माह का हुआ तो अपने माता-पिता को गोद दे दिया। कभी उसे नहीं बताया। कौशिक जब कक्षा छठी में था तो उसे पता चला कि जिन्हें वह संगीता जीजी कहता है वह उसकी मां और जिन्हें मां कहता है वह नानी है। बाद में जब सिकंदराबाद में आचार्य विजय जिनसुंदर सूरीश्वर का चातुर्मास हुआ तो दीक्षा लेने का निर्णय लिया। मैंने उसकी पत्रिका दिखाई तो उसकी कुंडली में दीक्षा का योग कमजोर था। इसके बाद जब जैन संतों से मिली तो फिर मैं उसके निर्णय में साथ हुई। कोई विरोध करता तो उसके साथ खड़ी रहती हूं।
दीक्षार्थी कौशिक कुमार कहते हैं कि मन में यह विचार आता था कि क्यों कोई अमीर और कोई गरीब है। कोई क्यों इतना बीमार और परेशान है। इसका कारण ढाई हजार साल पहले जैन धर्म में बताया गया है। यह सब कर्म सिद्धांत हैं। यह भी सदा सुनने में आया कि संयम जीवन सरस है। जब 2022 में सिकंदराबाद में चातुर्मास हुआ तो प्रवचन में नियमित जाता था। इसके बाद एक दीक्षा हुई तो उस आयोजन में सहभागी बनने का अवसर लिया और दीक्षा का निर्णय लिया।
आचार्य विजय जिनसुंदर सूरी महाराज कहते हैं कि संसार में आत्म कल्याण किया जा सकता है लेकिन उच्चकोटि और स्वयं के जल्दी कल्याण के लिए संन्यास आवश्यक है। जब कौशिक ने दीक्षा की इच्छा व्यक्त की तो उन्हें साधु जीवन से अवगत कराया। साधु जीवन की तप-तपस्या, पैदल विहार की शिक्षा दो साल तक दी। संन्यास जीवन गुरु तत्व पर आधारित है।
दीक्षा महोत्सव में दीक्षार्थी कौशिक कुमार खांटेड़ ने गुरुवार को रेसकोर्स रोड स्थित मनमोहन पार्श्वनाथ जैन मंदिर पर शांतिधारा, अभिषेक व पूजन किया। युग प्रधान परिवार के विनोद जैन एवं मनीष शाह ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 7.30 बजे से समूह सामायिक एवं शाम सात बजे मुमुक्षु की रजवाड़ी शोभायात्रा निकाली जाएगी। 22 नवंबर को रेसकोर्स रोड उपाश्रय से वर्षीदान वरघोड़ा सुबह 8.30 बजे प्रारंभ होगा। दीक्षा विधि रविवार को सुबह सात बजे से प्रारंभ होगी।