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नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सुखलिया क्षेत्र स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (ITI) के दिव्यांग केंद्र में अध्ययनरत मूक-बधिर छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त की है। विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण देने के बजाय उनसे मजदूरों की तरह काम करवाया जाता है। इसमें कैंपस की साफ-सफाई से लेकर बगीचे की घास कटवाना तक शामिल है। विद्यार्थियों ने कलेक्टर शिवम वर्मा की जनसुनवाई में अपनी समस्याएँ बताईं, जिसके बाद आईटीआई प्रबंधन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और प्रभारी सहित इंटरप्रेटर (दुभाषिया) को पद से हटा दिया है।
दिव्यांग केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर व प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (कोपा) का पाठ्यक्रम संचालित होता है, जिसमें 24 विद्यार्थी प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) का कोई योग्य प्रशिक्षित शिक्षक या प्रभावी दुभाषिया उपलब्ध नहीं है। इसके कारण उन्हें तकनीकी विषय समझने में भारी कठिनाई होती है। कोपा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को केवल औपचारिक रूप से पूरा किया जा रहा है और 'एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स' (रोजगार योग्यता) की तो एक भी कक्षा नहीं ली गई। कभी-कभी केवल 1-2 मिनट का वीडियो बनवाकर व्हाट्सएप ग्रुप पर मंगा लिया जाता है और इसे ही पढ़ाई मान लिया जाता है।
विद्यार्थियों ने छात्रावास की बदहाली का भी जिक्र किया है। उनका आरोप है कि हॉस्टल के शौचालयों में पानी नहीं आता, सीटें टूटी हुई हैं और दरवाजों के ताले तक खराब हैं। मेस में मिलने वाला भोजन अत्यंत घटिया गुणवत्ता का है। इसके अलावा हॉस्टल में गीजर, कूलर या हीटर जैसी बुनियादी सुविधाएं तो दूर, मच्छरों से बचाव के लिए जाली या मच्छरदानी तक उपलब्ध नहीं है। पढ़ाई के लिए पर्याप्त कंप्यूटरों का भी अभाव है।
छात्रों ने संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया है। उनका आरोप है कि किताबें, यूनिफॉर्म और कॉपियाँ कई दानदाताओं द्वारा मुफ्त में दी जाती हैं, लेकिन संस्थान के जिम्मेदार इसके लिए भी विद्यार्थियों से शुल्क वसूलते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि जब वे इन व्यवस्थाओं का विरोध करते हैं, तो उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी दी जाती है।
शिकायत के बाद संस्थान में हड़कंप मचा हुआ है और जिम्मेदार सफाई दे रहे हैं...
अशोक कुवाल (पूर्व प्रभारी, दिव्यांग केंद्र): "विद्यार्थियों से केवल श्रमदान करवाया गया था, मजदूरों की तरह काम करवाने के आरोप गलत हैं। इंटरप्रेटर ही भोजन और पाठ्य सामग्री की व्यवस्था करती थीं। मुझे और उन्हें हटा दिया गया है।"
रीना सोलंकी (प्राचार्य, संभागीय आईटीआई इंदौर): "जनसुनवाई में शिकायत मिलने के बाद केंद्र प्रभारी और इंटरप्रेटर को हटा दिया गया है और मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। प्रभारी का कहना है कि यह श्रमदान था, क्योंकि उनके पाठ्यक्रम में श्रमदान का एक विषय भी शामिल रहता है।"
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