Deepfake: कमल नाथ और कैलाश विजयवर्गीय के फर्जी वीडियो समेत डीपफेक पर इंदौर में चार केस दर्ज
Deepfake: डार्कनेट पर अभी तक हथियार, मादक पदार्थ और एटीएम-क्रेडिट कार्ड की जानकारी बिक रही थी।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Mon, 27 Nov 2023 08:34:22 AM (IST)
Updated Date: Mon, 27 Nov 2023 01:10:25 PM (IST)
कमल नाथ और कैलाश विजयवर्गीयHighLights
- डीपफेक की चिंता के बीच आपराधिक गैंग की सक्रियता बढ़ने लगी है।
- अब तो स्थानीय स्तर पर डीपफेक का उपयोग बढ़ने लगा है।
- डार्कनेट पर सक्रिय है गिरोह, वीडियो बहुप्रसारित करने वाले तक पहुंच सकती है पुलिस।
Deepfake: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। डीपफेक की चिंता के बीच आपराधिक गैंग की सक्रियता बढ़ने लगी है। अभी तक बड़े राजनेता और सेलिब्रिटी ही इस तरह के फर्जी वीडियो बनाने वाले गिरोह के निशाने पर होते थे। चलन बढ़ा तो बड़े उद्योगपतियों को भी निशाना बनाया जाने लगा, परंतु अब तो स्थानीय स्तर पर डीपफेक का उपयोग बढ़ने लगा है। शहर में अब तक चार एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं। एक नेता अश्लील वीडियो के शिकार हुए हैं। इस नेता ने विधानसभा का चुनाव लड़ा है।
क्राइम ब्रांच डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक
डीपफेक की सबसे ज्यादा शिकायतें विधानसभा चुनाव के दौरान दर्ज हुईं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित किया गया, जो लाड़ली लक्ष्मी योजना बंद करने से जुड़ा था। इस फर्जी वीडियो की अपराध शाखा में एफआइआर दर्ज की गई। कांग्रेस नेता राकेश यादव की शिकायत पर प्रकरण की साइबर सेल जांच में जुटी है।
कनाड़िया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फर्जी वीडियो जारी करने पर एफआइआर दर्ज की है। पुलिस सिर्फ बहुप्रसारित करने वालों का डाटा जुटा सकी है। वीडियो कहां बना इसके सबूत नहीं मिल पाए हैं। क्राइम ब्रांच ने भाजपा प्रत्याशी
कैलाश विजयवर्गीय का फर्जी वीडियो बनाने पर भी एफआइआर दर्ज की है। कांग्रेस के एक प्रत्याशी का अश्लील वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जारी किया गया, जिसमें उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में भी एफआइआर दर्ज की।
कोडर और डिकोडर की मदद
साइबर एसपी जितेंद्रसिंह के मुताबिक डीपफेक बनाने वाला गिरोह डार्कनेट पर सक्रिय है। डार्कनेट पर अभी तक हथियार, मादक पदार्थ और एटीएम-क्रेडिट कार्ड की जानकारी बिक रही थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में अब डार्कनेट पर भी फर्जी वीडियो बनाए जा रहे हैं। एक मिनट लंबे वीडियो के एवज में एक लाख रुपये तक लिए जा रहे हैं। यह काम दो स्तर पर होता है।
मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया जाता है। इस टेक्नोलाजी में कोडर और डिकोडर की मदद ली जाती है। डिकोडर उस व्यक्ति के चहरे और हावभाव को परखता है, जिसका वीडियो बनाना है। इसके बाद फर्जी चेहरे पर इसे लगा दिया जाता है।