नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में रैगिंग और हॉस्टल में तोड़फोड़ की घटना में बुधवार को नया मोड़ ले लिया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति ने आईईटी की एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। महज 24 घंटे पहले एंटी रैगिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में छात्रों पर नेपाल के जेन-जी आंदोलन की तर्ज पर प्रदर्शन करने का आरोप लगाया था, लेकिन अनुशासन समिति ने करीब छह घंटे की जांच करने के बाद इसे पूरी तरह खारिज कर दिया।
समिति का कहना है कि जांच के दौरान जेन-जी जैसे किसी आंदोलन के सबूत नहीं मिले। विश्वविद्यालय ने इस मामले को लेकर भंवरकुआं पुलिस थाने में दोबारा शिकायत भी दर्ज कराई, जिसमें आंदोलन का जिक्र तक नहीं है। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
बीते मंगलवार को बीटेक फाइनल ईयर छात्रों ने जूनियर्स को कैफे में बुलाकर धमकाया था। उनसे कहा गया कि फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर संस्थान के खिलाफ पोस्ट करें। इस घटनाक्रम के बाद सोमवार को एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई। यहां कुछ सदस्यों ने दावा किया कि छात्रों ने जेन-जी आंदोलन जैसी गतिविधियां कीं। रिपोर्ट सीधे यूजीसी को भेजी गई, जो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। कुलगुरु डा. राकेश सिंघई के निर्देश पर अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई।
दोपहर तीन बजे आईएमएस में शुरू हुई बैठक देर रात दस बजे तक चली। इसमें पंद्रह विद्यार्थियों को बुलाया गया था, लेकिन समिति ने सिर्फ दो छात्रों के बयान दर्ज किए। बाकी छात्रों से कुछ सदस्य अकेले में मिले। रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं किया गया। सूत्र बताते हैं कि कई छात्रों ने जेन-जी जैसे आंदोलन की बात से साफ इनकार कर दिया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में जेन जी आंदोलन की तरह प्रदर्शन से इनकार किया है। इस संबंध में सदस्यों ने तथ्य व प्रमाण नहीं मिलने की बात कही है। जबकि छात्रों द्वारा हॉस्टल में तोड़फोड करना पाया है। विश्वविद्यालय ने अगले कुछ दिनों में सीसीटीवी-डीवीआर की नुकसान का आकलन करेंगे। उसके आधार पर विद्यार्थियों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
आईईटी की एंटी रैगिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बीस विद्यार्थियों को दोषी ठहराया था, जिनमें सीनियर और जूनियर दोनों शामिल हैं। इस पर अब छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। उनका कहना है कि प्रबंधन ने पक्षपात करते हुए कुछ छात्रों को बचाने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, छात्रों का आरोप है कि कई लोग बिना अनुमति के हॉस्टल में रह रहे हैं और प्रशासन इसकी अनदेखी कर रहा है।
अनुशासन समिति की नई रिपोर्ट के बाद मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। एक ओर जहां एंटी रैगिंग कमेटी दोष तय करने पर अड़ी है। वहीं अनुशासन समिति ने उसकी पूरी जांच पर ही सवाल उठा दिए हैं। इससे छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ गया है। अब सबकी निगाहें विश्वविद्यालय और पुलिस की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।
जेन-जी आंदोलन बताकर विश्वविद्यालय ने पहले पुलिस में शिकायत की थी, जिसमें सिर्फ साधे कागज पर घटनाक्रम बताया है। इस संबंध में भंवरकुआं पुलिस को कोई प्रमाण नहीं दिए गए है। अब पुलिस ने विद्यार्थियों के मोबाइल और लैपटॉप भी मांगे है।
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अनुशासन समिति की रिपोर्ट में जेन-जी जैसी कोई घटना विश्वविद्यालय में नहीं हुई है। इसके लेकर किसी भी छात्र ने कोई बयान नहीं दिया है। यहां तक कि प्रमाण भी सामने नहीं आए है। वाट्सअप चैट में भी कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया गया है।
डा. चंदन गुप्ता, मीडिया प्रभारी, डीएवीवी।