MP के इस हाईस्कूल का अनोखा कदम: अब कोई छात्र नहीं कहलाएगा ‘बैक बेंचर’
सरकारी स्कूलों में कमजोर विद्यार्थियों के लिए बेहतर माहौल बनाने और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से जिले के डोंगरगांव हाईस्कूल(Dongargaon High School) ने एक अनोखा कदम उठाया है। अर्धचंद्राकार बैठने की व्यवस्था लागू होने के बाद से स्कूल का माहौल पूरी तरह बदल गया है।
Publish Date: Sat, 26 Jul 2025 05:40:49 PM (IST)
Updated Date: Sat, 26 Jul 2025 05:42:44 PM (IST)
डोंगरगांव हाईस्कूल में अर्धचंद्राकार बैठने की व्यवस्था से अध्ययन करते विद्यार्थी।HighLights
- डोंगरगांव हाईस्कूल में बैक बेंचर की अवधारणा खत्म, अर्धचंद्राकार बैठने की व्यवस्था शुरू।
- नई व्यवस्था से छात्रों में आत्मविश्वास, संवाद क्षमता और नेतृत्व गुण में हो रही है बढ़ोतरी।
- केरल मॉडल से प्रेरित यह नवाचार अब जिले के अन्य स्कूलों में भी लागू होने लगा।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बुरहानपुर: सरकारी स्कूलों में कमजोर विद्यार्थियों के लिए बेहतर माहौल बनाने और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से जिले के डोंगरगांव हाईस्कूल(Dongargaon High School) ने एक अनोखा कदम उठाया है। स्कूल में कक्षा की बैंचों को अर्धचंद्राकार आकार(semi-circular seating arrangement) में लगाया गया है, जिससे अब किसी छात्र को पीछे बैठने की मजबूरी नहीं है।
कैसे आया यह बदलाव
प्राचार्य जगदीश पाटिल ने बताया कि आमतौर पर कक्षा में होशियार छात्र आगे बैठते हैं और कमजोर छात्र पीछे, जिसे लेकर उन्हें ‘बैक बेंचर’ कहा जाता है। इससे कई बार छात्र हतोत्साहित होते हैं और शिक्षकों का ध्यान भी उन पर कम जाता है। केरल में लागू इसी व्यवस्था से प्रेरणा लेकर उन्होंने यह बदलाव किया।
असर: बदला स्कूल का माहौल
अर्धचंद्राकार बैठने की व्यवस्था लागू होने के बाद से स्कूल का(confidence-building initiative) माहौल पूरी तरह बदल गया है। शिक्षक और छात्र दोनों इसे पसंद कर रहे हैं। अब सभी छात्रों पर शिक्षकों का ध्यान समान रूप से जाता है। साथ ही, छात्र आपस में आमने-सामने बैठकर विषयों पर चर्चा कर रहे हैं, जिससे संवाद क्षमता, आत्मविश्वास और नेतृत्व गुण में बढ़ोतरी हो रही है।
अन्य स्कूल भी अपना रहे यह व्यवस्था
डोंगरगांव की इस पहल से प्रेरणा लेकर हाईस्कूल चांदनी और हाईस्कूल असीरगढ़ ने भी कक्षाओं में अर्धचंद्राकार बैंच व्यवस्था लागू कर दी है। आसपास के कई शिक्षक इस प्रयोग को देखने आ रहे हैं।
छात्रों में दिखा सकारात्मक बदलाव
छात्रों ने बताया कि अब पढ़ाई में अधिक आनंद आता है। समूह चर्चा से वे बेहतर समझ विकसित कर रहे हैं और सवाल पूछने में झिझक नहीं होती। शिक्षकों के अनुसार, यह तरीका छात्रों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बना रहा है।