
130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम हैं एलएचबी कोच
22 कोच की होगी ट्रेन
इंदौर। नईदुनिया प्रतिनिधि
महू-कटरा के बीच चलने वाली मालवा सुपरफास्ट ट्रेन के लिए पहला एलएचबी (लिंक हाफमन बॉश) रैक इंदौर पहुंच गया है। शुरुआत में दो रैक आवंटित किए गए हैं। एक रैक का मेंटेनेंस बुधवार को इंदौर यार्ड की पिटलाइन पर किया गया, जबकि दूसरे रैक का मेंटेनेंस गुरुवार को होगा। मार्च से किसी भी दिन एक-एक करके मालवा एक्सप्रेस कन्वेंशनल के बजाय एलएचबी रैक से चलाई जाने लगेगी।
'नईदुनिया' ने सबसे पहले यह खबर प्रकाशित की थी कि रेलवे जल्द ही मालवा सुपरफास्ट ट्रेन में एलएचबी कोच लगाएगा और मार्च से यह ट्रेन इस कोच से चलने लगेगी। फिलहाल मालवा सुपरफास्ट ट्रेन के संचालन में 24 कोच के चार रैक इस्तेमाल किए जाते हैं। आईसीएफ श्रेणी के ये कोच पुराने हो चुके हैं। नए कोच लगने से न केवल ट्रेन में यात्री क्षमता और गति बढ़ेगी बल्कि यात्रियों का सफर आरामदायक और सुरक्षित होगा। एलएचबी श्रेणी के कोच 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम हैं, इसलिए मालवा एक्सप्रेस की गति भी बढ़ाई जा सकेगी। 24 कोच की क्षमता से चलने के कारण ट्रेन में अब अतिरिक्त कोच नहीं लगाए जा सकते लेकिन एलएचबी श्रेणी के कोच लगाने से ट्रेन की यात्री क्षमता बढ़ेगी। फिलहाल ट्रेन में सेकंड एसी का एक, थर्ड एसी के छह, स्लीपर के 12, जनरल के दो, एसएलआर श्रेणी के दो और पेंट्री कार का एक कोच लगाया जाता है।
ज्यादा लंबे होते हैं कोच
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एलएचबी कोच कन्वेंशनल कोच की तुलना में ज्यादा लंबे होते हैं इसलिए एलएचबी कोच की ट्रेन 24 कोच से नहीं चलाई जा सकती। इसमें यात्रियों के लिए अधिकतम 22 कोच लगाए जा सकते हैं और दो कोच जनरेटर कार के होते हैं। मालवा एक्सप्रेस को लेकर चर्चा है कि उक्त ट्रेन हेड ऑफ जनरेशन (एचओजी) तकनीक से चलाई जाएगी और बेकअप के लिए दो के बजाय एक जनरेटर कार रखी जाएगी। अपुष्ट खबर है कि 1 मार्च से ट्रेन के एक-एक रैक को एलएचबी में बदला जाएगा।