नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मालवा मिल ब्रिज निर्माण को लेकर इंजीनियरिंग की पोल धीरे-धीरे खुलने लगी है। कई खामियां हैं, जिन पर निर्माण के वक्त ध्यान ही नहीं दिया गया। लोकार्पण की हड़बड़ी में जिम्मेदारों ने इस बात की जांच करना भी जरूरी नहीं समझा कि ब्रिज मानकों के हिसाब से बना भी है या नहीं। किस हद की लापरवाही हुई है यह इसी से समझा जा सकता है कि लोकार्पण के 36 घंटे बाद ही पूरे ब्रिज पर वर्षा जल जमा हो गया और ब्रिज तालाब में तब्दील हो गया।
अजीब निर्माण
ब्रिज पर जमा होने वाले पानी को निकालने के लिए फाइलों में भले ही स्टार्म वाटर लाइन बिछाई गई हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि पानी निकालने के लिए दोनों तरफ के फुटपाथों पर बीच-बीच में से एक-एक फीट की नालियां बनाई गई हैं। ऐसे में फुटपाथ पर चलने वाले का सिर के बल गिरना तय है। ऐसे फुटपाथ पूरे देश में शायद ही कहीं और देखने को मिलें।
ब्रिज के कई काम अब भी अधूरे हैं। एक बड़े हिस्से में रैलिंग आज भी नहीं लगी है। पूरा ब्रिज समतल है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि पानी की निकासी के लिए ढलान जरूरी होता है। आधे-अधूरे ब्रिज को लोकार्पित कर जनप्रतिनिधि चैन की नींद सो रहे हैं, लेकिन जनता की आंखों से नींद गायब है। आखिर ब्रिज निर्माण में छह करोड़ रुपया जनता का लगा है।
नहीं टिका झूठ
दो अक्टूबर 2025 को मालवा मिल ब्रिज का लोकार्पण हुआ था। दावा किया गया था कि इस ब्रिज के निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है। हालांकि यह झूठ ज्यादा देर तक नहीं टिक सका। लोकार्पण के कुछ घंटे बाद ही ब्रिज निर्माण में बरती गई लापरवाही सामने आने लगी।
नईदुनिया की टीम ने विशेषज्ञों के साथ मंगलवार को ब्रिज का निरीक्षण किया तो पाया कि एक नहीं कई खामियां हैं। ब्रिज के दोनों तरफ काम अब भी अधूरा है। बगैर काम पूरा हुए ही ब्रिज को लोकार्पित कर दिया गया। किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय
अतुल शेठ, वरिष्ठ इंजीनियर ने कहा कि ब्रिज निर्माण में कई खामियां हैं। फुटपाथ को इस तरह के बीच-बीच में से काटना हादसों को निमंत्रण देने जैसा है। ब्रिज पर पानी की निकासी के लिए ढलान भी नहीं दिया गया है। कई काम अब भी अधूरे हैं। दिलीप कुमार यादव, निगमायुक्त इंदौर नेकहा कि मालवा मिल ब्रिज का ट्रायल पीरियड चल रहा है। जो भी खामियां सामने आएंगी, उन्हें दूर कराया जाएगा।
मालवा मिल ब्रिज प्वाइंटर
30 मार्च से शुरू हुआ था मालवा मिल ब्रिज का काम
100 दिन में बनाने का था दावा लेकिन छह माह में तैयार हुआ
30 मीटर चौड़ा और 21 मीटर लंबा है नया ब्रिज
6 करोड़ रुपये लागत है ब्रिज की
1 लाख से ज्यादा लोग निकलते हैं औसतन ब्रिज से रोजाना
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