इंदौर। मजहब और पैसे के नाम पर लोगों का ब्रेन वाश किया जा रहा है। किसी को जन्नत तो किसी को पैसे का लालच दिया जाता है। हिंदुस्तान का मुसलमान पैगंबर साहब की मजार को नहीं छू सकता। जमीन के लिए बाबर आया और दीन के लिए ख्वाजा मोइनउद्दीन आए थे। आज जो हिंदुस्तान में मुसलमान है वह ख्वाजा की संतान है। आतंकवादियों का इस्लाम ही क्या इंसानियत से भी वास्ता नहीं है। आतंक करने वाले इंसान नहीं बल्कि पशु हैं। मजहब की आड़ लेने वाले गुनाहगारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। किसी भी मजहब के पेट से आतंकवाद का जन्म नहीं होता।
यह बात मौलाना सय्यद मोहम्मद हाशमी मियां ने रविवार को प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कही। पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के वशंजों में शामिल मौलाना साहब ने इस्लाम से जुड़े तमाम विवादों पर साफगोई से अपना मत रखा। उन्होंने कहा कि इस देश में दो कारणों से मुसलमान आए। एक जमीन के लिए दूसरे दीन के लिए, जो जमीन के लिए आए वे हथियार और जो दीन के लिए आए वो प्रेम का पैगाम लेकर आए थे।
आतंकवाद लश्कर ए तोयबा, अलकायदा, तालिबान जैसे संगठन करते हैं और इल्जाम कौम पर लगता है। वे हिंदुस्तान में सैनिकों पर हमला करते हैं और पाकिस्तान में मुसलमानों पर। मजहब से आतंकवाद आता तो यह डेढ़ हजार साल पहले आ गया होता ना कि 100 बरस पहले। उन्होंने आतंकवाद के लिए सऊदी अरब और वाहबियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सारे वाहबी आतंकवादी नहीं लेकिन हर आतंकवादी वाहबी है।
अच्छा है हज का महंगा होना
हज यात्रा के महंगे होने पर मौलाना साहब ने कहा कि अच्छा है हज महंगा हो रहा है। इससे कोई दिक्कत नहीं है। महंगा होगा तो सभी के लिए फर्ज नहीं रहेगा। हज उसके लिए फर्ज है जो अपनी जिम्मेदारियां निभा चुका है। जिस पर किसी का कर्ज नहीं और मुनासिब संपत्ति जिसके पास हो।
सरकार करे तालीम की व्यवस्था
तालीम पर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा को अनिवार्य बनाए। हाईस्कूल तक की शिक्षा सभी को मिले और इसके लिए आवश्यक इंतजामात भी किए जाएं। स्कूल-कॉलेज के निर्माण में आने वाली शासकीय पेंचदगियां खत्म होनी चाहिए।
वहां भी मुसलमान रहता है जहां पर्सनल लॉ नहीं
इंडियन पेनल कोड सभी के लिए एक है। हां मुस्लिमों के लिए पर्सनल लॉ है। इसमें शादी, तलाक और वसीयत जैसे मामले आते हैं। जिस देश में पर्सनल लॉ है वहां भी मुसलमान रहता है और जहां नहीं है वहां भी रह रहा है। -नप्र