History Of Indore: जब इंदौर से देवी अहिल्याबाई होलकर ने नेपाल नरेश को भेजी थी राखी
Raksha Bandhan 2023: देवी अहिल्याबाई ने क्रूर माने जाने वाले हैदराबाद के निजाम को भी अपने मृदु व्यवहार के आगे झुकने के लिए विवश कर दिया था।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 26 Aug 2023 07:41:06 AM (IST)
Updated Date: Sat, 26 Aug 2023 11:04:03 AM (IST)
अहिल्याबाई होलकर रक्षाबंधन पर देश के तमाम शासकों को रक्षासूत्र भेजा करती थीं।History Of Indore: इंदौर। इस बार आप जब महेश्वर जाएं और वहां किले में उस स्थान को देखें, जहां आज भी अहिल्याबाई होलकर की गादी लगी हुई है, तो वहां समीप ही लगे बिल्वपत्र के वृक्ष को भी ध्यान से देखिएगा। इस वृक्ष की पहली विशेषता तो यह है कि यह 11 बिल्व पत्ती वाला वृक्ष है, वहीं दूसरी विशेषता है कि इसे अहिल्याबाई होलकर ने लगाया था। इसकी तीसरी खूबी यह है कि इसे नेपाल के महाराजा ने अहिल्याबाई के लिए भेजा था और चौथी व अंतिम खास बात यह कि यह वह भेंट थी, जिसे नेपाल नरेश ने एक भाई के नाते अपनी मुंहबोली बहन अहिल्याबाई को दिया था।
अहिल्याबाई को यूं ही मातोश्री नहीं कहा जाता। उन्होंने अपनी सूझबूझ, दूरदर्शिता और स्नेह से केवल मालवा में ही अपना सिक्का नहीं चलाया बल्कि लोगों के दिलों पर भी राज किया। उन्होंने
रक्षाबंधन पर्व कुछ इस तरह मनाया कि पूरे भारत के शासकों को अपने नेह के बंधन में बांध लिया था। वे अपने मृदु व्यवहार और रिश्ते निभाने में विश्वास की परंपरा के चलते कई शासकों की बहन बन गई थीं।
दरअसल,
अहिल्याबाई होलकर रक्षाबंधन पर देश के तमाम शासकों को रक्षासूत्र भेजा करती थीं। इस कड़ी में उन्होंने नेपाल के शासक को भी राखी भेजी। जब
नेपाल नरेश ने बहन से कोई उपहार मांगने को कहा, तो उन्होंने बस इतना ही मांगा कि काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन होने वाली पहली पूजा का अधिकार होलकर राजवंश को मिले। बहन की मांग को राजा ठुकरा न सके और इसकी स्वीकृति के साथ 11 पत्ती वाला बिल्वपत्र महेश्वर पहुंचा दिया।
निजाम को भी कर दिया था विवश
देवी अहिल्याबाई ने क्रूर माने जाने वाले
हैदराबाद के निजाम को भी अपने मृदु व्यवहार के आगे झुकने के लिए विवश कर दिया था। उन्होंने निजाम को राखी भेजकर न केवल मित्र राज्य के रूप में अपने साथ कर लिया बल्कि निजाम ने जब बहन से तोहफा मांगने को कहा तो उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल मल्लिकार्जुन व घृष्णेश्वर की महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहली पूजा होलकर राजवंश की यजमानी में करने की अनुमति मांग ली।
देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग की महाशिवरात्रि पर पहली पूजा होलकर राजपरिवार के द्वारा करने का अधिकार उन्होंने इसी तरह सभी शासकों से प्राप्त किया। यही नहीं, इसके साथ ही उन्होंने इन सभी शासकों से मालवा के मधुर संबंध बना लिए और मालव गणराज्य की सुरक्षा और भी पुख्ता कर ली।
- सुनील मतकर
(इतिहासकार डा. गणेश मतकर के संग्रह से)