Hyperhidrosis : नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौरियों की हथेलियों में भले ही बहुत पैसा हो, लेकिन इस पैसे के साथ-साथ अब एक और चीज से इंदौरियों की हथेली भरी हुई है। हालांकि यह चीज पैसे जैसी नहीं है कि जिसे लोग सहेजना चाहें। दरअसल, यह है अत्यधिक पसीना आने की समस्या। यह एक तरह की चेतावनी है कि इंदौर में हाइपर हाइड्रोसिस के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।
यदि आप सोच रहे हैं कि गर्मी के मौसम में तो पसीना आता ही है, तो आप गलत हैं। हाइपर हाइड्रोसिस में पसीना आने का मौसम से कोई संबंध नहीं। इसके मरीजों को दिसंबर, जनवरी की कड़ाके वाली ठंड में भी पर्याप्त पसीना आता है। इंदौर में अब इस समस्या से बचाव के लिए लोग बड़े पैमाने पर बोटाक्स पद्धति से उपचार करवा रहे हैं। यह उपचार लोगों को इसलिए भी जरूरी लग रहा है क्योंकि अत्यधिक पसीना अब उनके करियर तक के लिए खतरा बनने लगा है।
गर्मी के मौसम में व्यायाम करते समय या अधिक फिजिकल एक्टिविटी करते वक्त पसीना आना सामान्य है, लेकिन कई लोगों को बैठे-बैठे ही अधिक पसीना आने लगता है। इसके कारण लोगों का आत्मविश्वास भी कम हो रहा है। हाइपर हाइड्रोसिस से पीड़ित लोग अपनी नौकरी या दोस्तों से मिलने के दौरान हाथ मिलाने में भी कतराने लगे हैं। हर उम्र वर्ग में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें हथेलियों और पैरों के तलवों में पसीने आने की समस्या रहती है। यह पसीना आना सामान्य नहीं बल्कि एक बीमारी है, जिसमें हर मौसम में तलवों व हथेली से पसीना आने की समस्या रहती है। इसके उपचार के लिए मरीज विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं। अधिकांश लोग इसके लिए बोटोक्स उपचार करवाते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि हमारे पास कई मरीज ऐसे भी आते हैं, जो सिर्फ हाथ नीचे लटकाते हैं और उन्हें पसीना आना शुरू हो जाता है। चर्म रोग विशेषज्ञ डा. शिखा मंडलोई ने बताया कि हथेली से पसीना आने के कारण कई लोगों को समस्या होती है। हमारे पास इस समस्या को लेकर मरीज आते हैं। इनमें अधिकांश मरीज आर्मी में चयन वाले होते हैं। वे चाहते हैं कि उनका चयन सेना में हो और इसके लिए वे शारीरिक व मानसिक रूप से फिट भी होते हैं। किंतु अत्यधिक पसीने के कारण उनका चयन रुक जाता है। इसके कारण कई लोग अपना आत्मविश्वास भी खो देते हैं। इसी तरह आफिस में काम के दौरान या किसी से हाथ मिलाने के दौरान पसीना आने पर भी लोगों को संकोच करना पड़ता है। इससे बचाव के लिए जांच होती है, जिसमें पता चलता है कि पसीना आने का क्या कारण हो सकता है।
हथेलियों में पसीना आने के कारण लोगों को आधार कार्ड बनवाने या अपडेट करवाने के दौरान भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही विद्यार्थी जिन्हें परीक्षा के दौरान बायोमीट्रिक हाजरी देनी होती है, उनके लिए भी यह समस्या बन रही है। दरअसल, पसीना अधिक आने से उनके फिंगरप्रिंट ठीक से नहीं बनते। ऐसे में यदि फिंगरप्रिंट मिलान न हो तो उन्हें परीक्षा में बैठने से वंचित रहना पड़ता है।
आर्मी में जाने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए भी हथेली से पसीना आने की समस्या होती है। इसके कारण ऐसे लोग कई बार शारीरिक जांच के दौरान अटक जाते हैं। इससे बचने के लिए अब कई युवा पहले बोटोक्स पद्धति से इस समस्या का उपचार करवाते हैं, ताकि उनकी हथेली से बार-बार पसीना आने की समस्या से उन्हें निजात मिल सके। इसके अलावा पसीना अधिक आने के कारण बदबू भी आती है।
हाइपर हाइड्रोसिस में पैरों के पंजे में भी पसीना आता है। इसके कारण इससे पीड़ित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैरों में पसीने के कारण एड़ियां फटने लगती हैं। अधिक पसीना वालों को जूते पहनने के दौरान भी अधिक समस्या होती है।
पसीना आपके शरीर का प्राकृतिक शीतलीकरण तंत्र है। अत: पसीना आना अच्छी बात है। किंतु जब यह अत्यधिक निकलने लगे, तो परेशानी बन जाता है। हाइपर हाइड्रोसिस के पीछे का कारण तंत्रिका तंत्र में समस्या होना है। इसके प्राथमिक कारण आनुवांशिक होने के साथ-साथ घबराहट आदि भी हो सकते हैं। इसके अलावा यह लक्षण लिवर में खराबी का संकेत भी हो सकते है। विशेषज्ञों के मुताबिक हथेलियों पर बेवजह पसीना आना फैटी लिवर जैसी किसी गंभीर बीमारी की तरफ इशारा हो सकता है। इसमें लापरवाही ना बरतते हुए विशेषज्ञों से सलाह लेना चाहिए। इसके अलावा बेवजह पसीना आने का कारण ओवर एक्टिव सिबेसियस ग्लैंड्स भी हो सकता है।
इसका अस्थायी उपचार बोटोक्स है। इससे एक वर्ष तक मरीज को पसीने आने की समस्या से राहत मिलती है। इस पद्धति से उपचार का खर्च एक हाथ के लिए करीब 15 हजार रुपये आता है। इसमें ज्यादा दर्द भी नहीं होता। इसके अलावा एक और विकल्प सर्जरी करवाना भी होता है।