
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। चुनावी चंदे की रसीदों से आयकर में छूट लेने वाले अब इंवेस्टिगेशन विंग के निशाने पर हैं। आयकर विभाग की इंवेस्टिगेशन विंग ने ऐसे करदाताओं को समंस जारी करना शुरू कर दिया है। इंदौर-उज्जैन परिक्षेत्र में अब तक सवा सौ से ज्यादा करदाताओं को ऐसे समंस जारी होने की बात सामने आई है। करदाताओं को आयकर छूट को संदिग्ध मानकर बयान दर्ज करवाने का निर्देश दिया गया है। जुलाई-अगस्त में आयकर के छापों के बाद इसे अगले दौर की कार्रवाई माना जा रहा है।
जुलाई-अगस्त में आयकर विभाग ने देश में करीब 200 जगह छापे मारे थे। इसमें बोगस चुनावी चंदे के साथ ट्यूशन फीस, मेडिकल खर्च के लिए भी फर्जी रसीदें लगाने के तथ्य सामने आए थे। चुनावी चंदे और ऐसी रसीदें उपलब्ध करवाकर फर्जी रिफंड दिलवाने के पूरे रैकेट में कुछ टैक्स पेशेवरों की संलिप्तता भी सामने आई थी।
कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट के दफ्तरों से चंदे और अन्य खर्च की खाली रसीदें भी बरामद हुई थीं। इसके बाद अब आयकर विभाग ने करदाताओं को इंटीमेशन दिया था। हालांकि करदाताओं ने बोगस छूट में सुधार नहीं किया तो अब इंवेस्टिगेशन विंग इसमें शामिल हो गया है। जानकारी के मुताबिक असेसमेंट ईयर 2021-22 के दौरान ली गई ऐसी शंकास्पद छूट के लिए नोटिस जारी हुए हैं।
आयकर विभाग की इंवेस्टिगेशन विंग बीती कार्रवाई के दौरान मिले डेटा-बेस के आधार पर समंस जारी कर रही है। चुनावी चंदे या अन्य खर्च की बोगस छूट ली गई है तो स्टेटमेंट दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई में केस स्क्रूटनी में भेज दिया जाता है।
इसमें संबंधित करदाता पर ली गई बोगस छूट के अनुपात में 200 प्रतिशत पेनाल्टी के साथ टैक्स व ब्याज वसूली की कार्रवाई होती है। करदाता के पास उपाय होता है कि इस कर मांग के खिलाफ वह ट्रिब्यूनल और कोर्ट में अपील कर कानूनी लड़ाई लड़ें।
ऐसे करदाता जिन्हें इस तरह के समंस मिले हैं या जिन्होंने गलत क्लेम लिया है तो वे अपडेट रिटर्न भरकर आगे की कार्रवाई से बच सकते हैं। नियम के अनुसार अपडेट रिटर्न 48 महीने तक जमा किया जा सकता है। 12 महीने के भीतर अपडेट रिटर्न भरने पर टैक्स, ब्याज और 25 प्रतिशत पेनल्टी राशि देना होती है। 48 महीने होने पर टैक्स ब्याज के साथ पेनाल्टी 70 प्रतिशत तक चुकाना होती है। साथ ही ऐसे करदाता जिन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 में बोगस क्लेम लिया है वे 31 दिसंबर तक बिना अतिरिक्त पेनाल्टी के रिवाइज रिटर्न भी दाखिल कर सकते हैं।- स्वप्निल जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट