
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। कभी शहर के आधुनिक सार्वजनिक परिवहन की पहचान माने जाने वाले बीआरटीएस कॉरिडोर को अब इतिहास बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शनिवार से इसकी रेलिंग और स्टेशनों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और एमआईसी सदस्यों ने जीपीओ चौराहे के पास बीआरटीएस की रेलिंग हटाने की शुरुआत की।
वर्ष 2013 में करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से 11.4 किलोमीटर लंबे बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) का निर्माण किया गया था। उस समय इसे शहरवासियों को सुगम और तेज लोक परिवहन सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। लेकिन समय के साथ बीआरटीएस का अलग लेन और रेलिंग वाला ढांचा यातायात जाम का कारण बन गया।
इसी वजह से लोगों ने इसकी उपयोगिता पर सवाल उठाए और मामला अदालत तक पहुंचा। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बीआरटीएस हटाने की घोषणा की थी। करीब सात महीने बाद अब इसे हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है।
कैसा होगा इंदौर का नया ट्रांसपोर्ट मॉडल
बीआरटीएस हटने के बाद शहर में मिक्स लेन ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू किया जाएगा। अब बसें और अन्य वाहन एक ही सड़क पर चल सकेंगे। निगम अधिकारियों के अनुसार, रेलिंग हटाने के बाद सड़क के बीच में नया डिवाइडर बनाया जाएगा ताकि सभी वाहनों के लिए चौड़ा मार्ग तैयार हो सके।
महापौर भार्गव ने बताया कि सुरक्षा कारणों से तोड़फोड़ का काम रात में किया जाएगा, ताकि दिन के समय यातायात प्रभावित न हो। प्रारंभिक चरण में रेलिंग, स्टेशन और जालियां हटाई जा रही हैं। इसके बाद बस स्टॉप हटाए जाएंगे।
बीआरटीएस हटाने के बाद भी शहर की सिटी बस और आई-बसे चलती रहेंगी, लेकिन वे अब पुराने कॉरिडोर के बजाय मिक्स लेन में दौड़ेंगी। इससे सड़कें अधिक खुली और उपयोगी बनेंगी। अधिकारी इसे “नए युग का ट्रांसपोर्ट मॉडल” बता रहे हैं, जिसमें लचीले रूट, स्मार्ट सिग्नल और बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम शामिल होंगे।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
बीआरटीएस को पहले बनाने और अब हटाने पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष विवेक खंडेलवाल ने कहा कि "पहले बीआरटीएस बनाने में करोड़ों खर्च किए गए और अब हटाने में भी उतना ही खर्च किया जा रहा है। यह जनता के पैसे की बर्बादी है। 12 साल तक शहरवासियों को असुविधा झेलनी पड़ी, अब इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।"
इंदौर का बीआरटीएस अब इतिहास बन रहा है, लेकिन नया ट्रांसपोर्ट मॉडल आने वाले समय में शहर को आधुनिक, सुगम और ट्रैफिक-फ्री बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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