
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। भागीरथपुरा में दूषित पानी से अब तक कुल 7 लोगों की मौत हो चुकी हैं। जब क्षेत्र में दूषित पानी से 26 दिसंबर को पहली मौत हुई तो उसे छुपा लिया गया। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार समय पर नहीं जागे और लोगों का इलाज नहीं किया। घटना सामने के बाद अब दिखावा कर रहे हैं।
नईदुनिया की टीम मंगलवार को भागीरथपुरा स्थित भाऊ गली पहुंची। यहां देखा तो एक मकान में मातम पसरा हुआ था। घर के बाहर भाई और बहन मां को याद कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 26 दिसंबर को मां गोमती रावत (50) की मौत हो गई है। उन्हें पहले से कोई शारीरिक बीमारी नहीं थी। उल्टी-दस्त की समस्या के बाद मौत हो गई। दूषित पानी की शिकायत हमें करीब 10 दिनों से कर रहे हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
बेटे राहुल ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया। चार घंटे बाद उनकी मौत हो गई। मौत का कारण दूषित पानी ही है, क्योंकि उन्हें पहले से किसी प्रकार की समस्या नहीं थी। चार घर छोड़कर तारा की मौत भाऊ गली में गोमती के घर से थोड़ी दूरी पर रहने वाली तारा रानी(70) की भी मौत हो गई। इन्हें सोमवार सुबह से उल्टी-दस्त की समस्या आ रही थी। अस्पताल से दवाई लाकर दी आराम नहीं पड़ा। इसके बाद मंगलवार सुबह स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी इन्हें दवाई दी, लेकिन 11.30 बजे इनकी मौत हो गई।
बेटे अनिल ने बताया कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह की घटना हो जाएगी। यहां दूषित पानी तो आते रहता है, लेकिन नहीं पता था कि यह मां की जान ले लेगा। भाऊ गली में 150 मकान, अधिकांश परिवार में लोग बीमार भाऊ गली में इस घटना के बाद काफी आक्रोश है। इस गली में करीब 150 मकान है, जिसमें से अधिकांश में लोग बीमार है। कई लोग अस्पताल में भर्ती है तो किसी का घर पर ही इलाज चल रहा है। इस गली में दो लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद लोग काफी डरे हुए है।
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रहवासियों ने बताया कि हम लंबे समय से दूषित पानी की शिकायत करते रहे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस घटना के बाद भी यहां पानी वितरण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पहले ही तरह की व्यवस्था यहां है। यहां अधिकांश परिवार मजदूरी करते हैं, इसके लिए जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
दूषित पानी के कारण उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर मरीज इलाज करवाने के लिए आसपास के अस्पतालों में पहुंच रहे थे। सात दिन से 20-30 मरीज समस्या लेकर पहुंच रहे थे। लेकिन इसके बावजूद किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया। अस्पतालों से स्वास्थ्य विभाग के पास भी इन मरीजों की जानकारी भेजी जा रही थी। लेकिन कुंभकरणीय नींद से जिम्मेदार जागे तक नहीं। जब कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लिया तो टीम मैदान में उतारी है।