
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से बीमार हुए लोगों की घटना के बाद नगर निगम प्रशासन मंगलवार को नींद से जागा। नर्मदा जल लाइन की जांच के लिए निगम के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन उनका यह निरीक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह गया। अधिकारी महज तीन-चार गलियों में घूमे और कुछ चेम्बर खोलकर वापस लौट गए। इस दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि नर्मदा पेयजल लाइन के ठीक ऊपर ही सीवरेज का चेम्बर बना दिया गया है, जो सीधे तौर पर जल प्रदूषण का कारण बन रहा है।
निरीक्षण के दौरान सुबह करीब 11 बजे जब नर्मदा परियोजना के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव और ड्रेनेज विभाग के अधिकारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने गली नंबर 2 का पहला चेम्बर खुलवाया, तो वे दंग रह गए। नर्मदा लाइन के ठीक ऊपर सीवरेज चेम्बर बना देख श्रीवास्तव अपने ही कर्मचारियों पर बरस पड़े। उन्होंने चिल्लाते हुए सवाल किया कि ऐसी गंभीर लापरवाही कैसे हुई और लाइन डालते समय जिम्मेदार लोग कहां थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसी स्थिति में गंदा पानी नर्मदा लाइन में मिलना तय है।
इस चूक पर जब कार्यपालन यंत्री ने सवाल उठाए, तो कर्मचारी हेमंत सुनहरे ने सफाई देते हुए कहा कि बाकी लाइन दूसरी जगह से प्रस्तावित है। इस बात पर दोनों के बीच काफी देर तक तीखी बहस हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि गुस्से में आकर श्रीवास्तव ने कर्मचारी को सस्पेंड करने की धमकी दे दी और उसका नाम नोट करने लगे, हालांकि अन्य अधिकारियों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया। ड्रेनेज अधिकारी बाजपेयी ने सीवरेज बंद कर लाइन बदलने का सुझाव दिया, जिसे अन्य अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया।
अधिकारियों ने इसके बाद गली नंबर 4 का भी दौरा किया, लेकिन वहां भी लीकेज का सटीक पता नहीं लग सका। चेम्बरों की सफाई के निर्देश दिए गए, लेकिन सफाईमित्रों ने निकाली गई गाद और गंदगी को वहीं बाहर ही छोड़ दिया। इस दौरान स्थानीय रहवासियों में भारी नाराजगी देखी गई। लोगों का कहना है कि जब वे अपनी समस्याएं बताने के लिए अधिकारियों को बुलाते रहे, तो निगम अमला अनसुना कर गाड़ियों में बैठकर वापस लौट गया। रहवासियों ने इस पूरे निरीक्षण को महज एक दिखावा करार दिया है।