Indore Traffic: ‘बताइए इंदौर का ट्रैफिक सुधारने का क्या प्लान है’… हाई कोर्ट में आज पेश होंगे कलेक्टर, निगमायुक्त, पुलिस आयुक्त
Indore Traffic: राजलक्ष्मी फाउंडेशन की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि शहर में ट्रैफिक सिग्नल नहीं चलते हैं। दुकानदार दुकान से ज्यादा सामान सड़क पर रखते हैं। वहीं, ई-रिक्शा ने भी ट्रैफिक का दम निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
Publish Date: Tue, 22 Jul 2025 09:12:20 AM (IST)
Updated Date: Tue, 22 Jul 2025 09:12:38 AM (IST)
Indore Traffic: इंदौर के बदहाल ट्रैफिक की एक बानगी (फाइल फोटो)HighLights
- अधिकारियों को देना है दस बिंदुओं पर जानकारी
- बताना होगा ट्रैफिक सुधारने के लिए क्या प्लान है
- राजलक्ष्मी फाउंडेशन ने दायर की है जनहित याचिका
नईदुनिया, इंदौर, Indore Traffic: इंदौर के बदहाल यातायात को लेकर हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका में मंगलवार को सुनवाई होगी। कोर्ट के आदेश पर कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायक्त शिवम वर्मा और पुलिस आयुक्त संतोष सिंह को मंगलवार को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर 10 बिंदुओं पर जवाब देना है।
उन्हें बताना है कि शहर के बिगड़ते यातायात को सुधारने के लिए उनके पास क्या योजना है। कोर्ट ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव को भी न्यायमित्र के रूप में उपस्थित होने के लिए कहा है, ताकि वे कोर्ट की सहायता कर सकें।
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याचिका में कहा- रात में भी सिग्नल चालू नहीं रहते
- हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका राजलक्ष्मी फाउंडेशन ने दायर की है। याचिका में शहर की बिगड़ती यातायात व्यवस्था को लेकर कहा है कि रात के वक्त एक भी चौराहे पर यातायात सिग्नल चालू नहीं रहते।
- चौराहों पर लगे सिग्नल बंद कर दिए जाते हैं। दुर्घटना संभावित क्षेत्र तो चिह्नित कर लिए गए लेकिन यहां दुर्घटना रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। हालत यह है कि चौराहों से सुबह और शाम को निकलना मुश्किल है।
- दुकान से ज्यादा सामान तो दुकानदार बाहर रखते हैं। शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे नियंत्रित करने की कोई नीति नहीं है।
- कोर्ट ने समस्या को गंभीर बताते हुए 8 जुलाई को जारी आदेश में कहा था कि कलेक्टर, पुलिस आयुक्त और निगमायुक्त व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हों ताकि इस समस्या का समाधान निकल सके।
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ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या भी लगाई थी फटकार
शहर में लगातार बढ़ रही ई-रिक्शा की संख्या को लेकर भी कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई थी। कहा था कि वर्तमान में ई-रिक्शा संचालन के लिए राज्य सरकार और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के पास कोई नीति नहीं है। ई-रिक्शा की संख्या, मार्ग और किराए पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने ध्वस्त हो चुकी शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर शासन और पुलिस विभाग से बिंदुवार विस्तृत जानकारी मांगी है।