Inodre Vidyasagar Maharaj News: राग-द्वेष जल जाए तो मनुष्य का कल्याण हो जाएगा : आचार्यश्री विद्यासागर
आत्म कल्याण के लिए प्रभु को नजदीक से जानने की आवश्यकता है। संयम के पथ पर चलकर ही राग-द्वेष से निजात पाई जा सकती है।
By dinesh.sharma
Edited By: dinesh.sharma
Publish Date: Sat, 07 Nov 2020 04:50:29 PM (IST)
Updated Date: Sat, 07 Nov 2020 04:50:29 PM (IST)

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मैं सवाल पूछता हूं कि संसार में पहले वृक्ष और फल में से कौन आया। कोई फल कह रहा है तो कोई वृक्ष कह रहा है। जिस दिन इस सवाल में उत्तीर्ण हो जाओगे तो फिर यहां आने का अवसर उत्पन्न नहीं होगा। बीज के बीजत्व को समाप्त हो जाए तो सबकी समस्या का समाधान हो जाएगा। राग-द्वेष व्यक्ति को जन्म-जन्म के फेर में घूमता है। राग-द्वेष को छोड़ने का इरादा नहीं करते इसलिए छूटता नहीं है। इरादा करते भी हो तो अधूरा रह जाता है। भीतर के राग-द्वेष जल जाए तो हमारा कल्याण होगा।
यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने शनिवार को दिगंबर जैन मंदिर विजय नगर में कही। वे धर्मसभा में समाजजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राग-द्वेष से रहित व्यक्ति इस प्रांगण में नजर नहीं आ रहा है। चारों तरफ से यहां जनता आई है। भगवान के सामने बैठने का अवसर पुणित कर्मों से मिलता है। कई लोग अपनी मर्जी से जगह आरक्षित करते हैं, क्या करें आरक्षण का जमाना है। पुण्यों का उदय नहीं हुआ तो लोग पूछते हैं कि महाराज ने क्या कहा? एक दिन जब प्रभु की प्राप्ति होगी तो हमारी शंकाओं का भी समाधान हो जाएगा, तब तक जीवन को शंकाओं के साथ चलाना है। आत्म के कल्याण के लिए प्रभु को नजदीक से जानने की आवश्यकता है। संयम के पथ पर चलकर ही राग-द्वेष से निजात पाई जा सकती है। जीव को अपनी महत्ता समझना चाहिए। आत्म तत्व को समझने की आवश्यकता है। दयोदय चेरिटेबल ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष कमल अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर क्षेत्र के समाजजनों ने संत के दर्शन-पूजन का लाभ लिया।