Janmashtami 2023 Special: एकमात्र कसौटी के पत्थर से निर्मित कृष्ण को जन्माष्टमी पर पहनाई जाती है मंहगी हीरे जड़ित पोषाक
Janmashtami 2023 Special: खास है शहर का 251 साल प्राचीन होलकर कालीन आड़ा बाजार स्थित राधा-कृष्ण मंदिर। प्रणामी संप्रदाय के मंदिर में 400 साल पुराने ग्रंथों को दिया राधा-कृष्ण का स्वरूप।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 07 Sep 2023 10:10:38 AM (IST)
Updated Date: Thu, 07 Sep 2023 01:39:50 PM (IST)
खास है शहर का 251 साल प्राचीन होलकर कालीन आड़ा बाजार स्थित राधा-कृष्ण मंदिर।Janmashtami 2023 Special: रामकृष्ण मुले, इंदौर। विभिन्न मतों व पंथों को मानने वाले शहर के प्राचीन श्रीकृष्ण मंदिर अपनी विशेष पूजन पद्धति के साथ ऐतिहासिक महत्व है। ऐसा ही 251 वर्ष प्राचीन आड़ा बाजार स्थित राधा-कृष्ण और प्रणामी संप्रदाय का गोराकुंड में प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर है। आड़ा बाजार में स्थित होलकरकालीन मंदिर की ख्याति एकमात्र ऐसे मंदिर के रूप में है, जहां विराजित डेढ़ फीट की कृष्ण की मूर्ति कसौटी के पत्थर से निर्मित है और जन्माष्टमी पर राधा संग कान्हा का शृंगार वर्ष में एकबार महंगे हीरे-जड़ित वस्त्रों और रत्न वाली मालाओं के साथ स्वर्ण आभूषण से किया जाता है। गोराकुंड स्थित मंदिर में तो 400 वर्ष पुराने ग्रंथों को ही राधा-कृष्ण का स्वरूप देकर पूजन 103 वर्ष से किया जा रहा है।
Janmashtami 2023 Special: पानी के कुंड से निकली मूर्ति, विराजमान, आज भी बरकरार प्राचीन स्वरूप
शहर के मध्य क्षेत्र स्थित आड़ा बाजार का राधा-कृष्ण मंदिर कृष्ण भक्तों के लिए खास है। यहां संगमरमर की राधारानी के संग सोने को परखने वाले कसौटी के पत्थर से बने भगवान कृष्ण मंदिर में विराजित हैं। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, यह
मध्य प्रदेश का 251 साल पुराना ऐसा एकमात्र मंदिर है, जहां कसौटी के पत्थर से निर्मित भगवान कृष्ण की मूर्ति है। मंदिर में डेढ़ फीट की राधा-कृष्ण की मूर्ति है। हर वर्ष
जन्माष्टमी पर भगवान का हीरे जड़ित वस्त्रों के साथ महंगे रत्न वाली मालाओं और स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। शहर के व्यापारिक क्षेत्र में होने के बावजूद राधाकृष्ण मंदिर ट्रस्ट ने इसके पुराने स्वरूप को बरकरार रखा है।
ट्रस्टी मानवेंद्र त्रिवेदी बताते हैं कि पांच हजार वर्ग फीट में बना मंदिर आज भी वैसा ही नजर आता है, जैसा निर्माण के समय था। मंदिर का निर्माण लकड़ियों से किया गया है। यहां स्थित पानी के कुंड से भगवान कृष्ण की मूर्ति निकली थी। विष्णु महायज्ञ का आयोजन कर 51 ब्राह्मणों ने विधि-विधान से भगवान की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया था। वर्ष में एक बार बैंक के लाकर से निकालकर भगवान का हीरे-जवाहरात और स्वर्ण आभूषणों से जन्माष्टमी पर श्रृंगार किया जाता है।
इसमें उनके पास हीरे जड़ित आभूषणों के साथ महंगी हीरे-मोती की मालाएं और स्वर्ण मुकुट व अन्य आभूषण शामिल हैं। ट्रस्टी पवन त्रिवेदी बताते हैं कि पंढरीनाथ चौराहा स्थित पंढरीनाथ मंदिर में दर्शन के लिए अहिल्या माता इस मंदिर के सामने से दर्शन कर गुजरती थीं। एक दिन जब गाय ने उनका आड़े खड़े होकर रास्ता रोका, तब से इस रास्ते का नाम आड़ा बाजार पड़ गया। होलकर वंश के राजा-महाराज के साथ इस मंदिर में चारों पीठों के शंकराचार्य भी समय-समय पर दर्शन करने आए हैं।
Janmashtami 2023 Special: ग्रंथों को पोशाक, मोर-मुकुट पहनाकर चांदी के सिंहासन पर विराजित कर दिया आराध्य का स्वरूप
प्रणामी संप्रदाय के गोराकुंड स्थित 103 वर्ष पुराने राधाकृष्ण मंदिर में 400 वर्ष पुराने ग्रंथों को पोशाक, मोर-मुकुट पहनाकर चांदी के सिंहासन पर विराजित कर राधाकृष्ण का स्वरूप दिया गया है। राधाकृष्ण का स्वरूप संप्रदाय के ग्रंथ तारतम वाणी और श्रीमद् भगवत गीता को दिया गया है। ग्रंथ में वेद, पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता और कुरान का सार समाहित है। यहां भगवान का हर दिन पांच बार पूजन होता है और पान का भोग लगाया जाता है।
सेठ श्री बख्तराम बछराज भंडारी प्राणनाथ संस्था की ट्रस्टी सुशीला भंडारी बताती है कि मंदिर का निर्माण 1920 में 40 बाय 120 वर्गफीट में काले पत्थर से किया गया था। मंदिर के साथ गोशाला का संचालन भी किया जाता है। इस प्राचीन मंदिर से स्थानीय 1200 परिवार जुड़े हैं। संप्रदाय को मानने वाले अमेरिका, नेपाल, भूटान और आस्ट्रेलिया में भी निवास करते हैं। मंदिर का संचालन सात लोगों की कमेटी करती है। इंदौर के अलावा उज्जैन में भी प्रणामी संप्रदाय के दो मंदिर हैं।
पुजारी पन्नालाल मिश्रा बताते हैं कि यहां प्रतिदिन पांच समय पूजन किया जाता है। पान का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। शास्त्रों में मूर्ति के आठ स्वरूप बताए गए है। उन्हीं में से एक उनकी वाणी है इसलिए गीता के श्लोक लिखे ग्रंथ का राधा-कृषअण का स्वरूप देकर पूजन किया जाता है।