
अमित जलधारी, इंदौर। राज्य शासन के नगरीय प्रशासन विभाग ने मोटे तौर पर यह तय कर लिया है कि इंदौर में पांच मुख्य और दो ब्रांच रूट पर लाइट मेट्रो ट्रेन कॉरिडोर बनाए जाएंगे। इनकी लंबाई करीब 75 किलोमीटर रहेगी। विश्व के 40 देशों ने लाइट मेट्रो ट्रेन चलाई जा रही है। हालांकि नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के निर्देश के बाद मेट्रो ट्रेन के रूट को बाहरी क्षेत्रों में महू-पीथमपुर, घाटाबिल्लौद और शहरी क्षेत्र में बायपास तक बढ़ाने की तैयारी भी शुरू हो गई है।
योजना आयोग ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग की की पीठ थपथपाते हुए कहा है कि इंदौर और भोपाल के लिए जो लाइट मेट्रो ट्रेन का मोड चुना गया है, वह न केवल काफी अच्छा है बल्कि अब तक देश के किसी भी शहर में नहीं आया है।
तीन तरह से चलेगी इंदौर मेट्रो
इंदौर में तीनों तरह से मेट्रो ट्रेन चलाई जाएगी। इसके एट-ग्रेड, अंडरग्राउंड और एलिवेटेड रूट रहेंगे। ओवरहेड लाइट मेट्रो लाने के लिए प्रति किलोमीटर औसतन 190 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है जबकि अंडरग्राउंड में यह खर्च और बढ़ता है।
लाइट मेट्रो के 'हैवी' रूट
1. गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर-एमआर-10-विजयनगर होते हुए बायपास
2. गांधीनगर से राजबाड़ा-एमजी रोड-पलासिया-पत्रकार कॉलोनी चौराहा-कनाड़िया रोड-बंगाली चौराहा होते हुए बायपास
3. एमआर-11 से चंद्रगुप्त चौराहा-सुखलिया-नंदानगर-एमजी रोड-सरवटे स्टैंड-नौलखा होते हुए तीन इमली-बायपास
4. देवास नाका से राजेंद्रनगर-विजयनगर-पाटनीपुरा-रेलवे स्टेशन-सरवटे बस स्टैंड-कलेक्टोरेट-राजेंद्रनगर होते हुए महू
5. उज्जैन रोड के भौंरासला जंक्शन से सांवेर रोड-बाणगंगा-मरीमाता चौराहा होते हुए कलेक्टोरेट
ब्रांच लाइन- कलेक्टोरेट से चोइथराम और कलेक्टोरेट से रानीबाग
पांच से 10 प्रतिशत हिस्सा भूमिगत होगा
सूत्रों का कहना है कि इंदौर में प्रस्तावित कुल मेट्रो कॉरिडोर में से पांच से 10 प्रतिशत हिस्सा भूमिगत होगा। नगरीय प्रशासन मंत्री ने प्रोजेक्ट की मौखिक सहमति दे दी है और लिखित मंजूरी होने पर लाइट मेट्रो ट्रेन का टोपोग्राफिक सर्वे होगा।
योजना आयोग ने कहा जल्द भेजो डीपीआर
पिछले दिनों भोपाल आए दो प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार के अफसरों ने इंदौर और भोपाल के लिए प्रस्तावित रूट समझे। आयोग से आए दो लोगों में उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया के सलाहकार जयेंद्र हल्दिया और आयोग के इन्फ्रास्ट्रक्चर सलाहकार रवि मित्तल शामिल थे। दोनों ने सरकार से जल्द इंदौर-भोपाल की डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भेजने को कहा है।
पीपीपी मॉडल पर जाने की सलाह
- योजना आयोग के प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वे इंदौर-भोपाल में लाइट मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पब्लिक-प्रायवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर क्रियान्वित किया जाए। ऐसा प्रयोग हैदराबाद में हो रहा है।
- आयोग ने यह भी कहा है कि दोनों शहरों के लिए सभी कॉरिडोर की डीपीआर बनवाएं। विभागीय मंत्री भी यही चाहते हैं कि एक बार में सारा काम हो जाए ताकि अलग-अलग कसरत नहीं करना पड़ेगी।
- भविष्य में अलग-अलग डीपीआर बनवाने से खर्च भी ज्यादा होगा।
- विजयवर्गीय ने विशेष रुचि के कारण पाटनीपुरा-नंदानगर जैसे क्षेत्रों को मेट्रो रूट से जोड़ा है।
भोपाल से इंदौर में ज्यादा लंबे कॉरिडोर
- भोपाल में 73 किलोमीटर लंबे पांच कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए हैं जिनकी डीपीआर बनवाई जाएगी।
- इंदौर की तुलना में भोपाल के मेट्रो कॉरिडोर की लंबाई कम रहेगी क्योंकि इंदौर में बसाहट घनी है और आबादी ज्यादा।
- भोपाल की तुलना में इंदौर के लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा उपयोग करते हैं।
डीपीआर बनने में लगेंगे तीन महीने
शुरुआत में दोनों शहरों में फिजिबिलिटी सर्वे हुआ है। अब प्रस्तावित रूट की डीपीआर बनवा रहे हैं जिसमें तीन महीने का समय हर हाल में लगेगा। जर्मनी से मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट देखने का बुलावा है लेकिन लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के कारण अफसरों की टीम वहां भेजेंगे। इंदौर के लिए स्वीकृत किए गए रूट में बायपास, सुपर कॉरिडोर, एमआर-10, स्कीम-54 से लेकर महू-पीथमपुर और घाटाबिल्लौद को भी जोड़ा जाएगा।
कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय प्रशासन मंत्री