नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पिछले माह पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान को अपने निवास पर भोजन के लिए आमंत्रित करने के बाद कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को शहर के जनप्रतिनिधियों को दोपहर भोजन के लिए आमंत्रित किया।
मंत्री द्वारा यूं जनप्रतिनिधियों को भोजन पर आमंत्रित करने को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा चल रही है। इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन अंदर की बात यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पिछले दिनों इस तरह के आयोजन की बात कही थी।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि पार्टी का हर विधायक अपने-अपने क्षेत्र में भोज आयोजित करे। इसमें पार्टी के सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाए। इस तरह के आयोजन का उद्देश्य पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी को खत्म करना है। इंदौर में इस तरह के आयोजन की शुरुआत कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने की। उन्होंने रविवार दोपहर शहर के जनप्रतिनिधियों को अपने घर भोज का न्योता दिया।
रविवार दोपहर इंदौर लोकसभा क्षेत्र से सांसद, पांच विधायक उनके निवास पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे तक रहे। सभी ने साथ मिलकर भोजन किया और शहर की राजनीति से जुड़ी बातें भी की। अब राजनीतिक गलियारों में इस लंच पालिटिक्स की चर्चा जोरों पर है। हालांकि भोज में शामिल विधायकों का कहना है कि पारिवारिक माहौल में हमने साथ मिलकर भोज किया।
भोज में शामिल होने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव दोपहर में पहुंचे। उनसे पहले विधायक रमेश मेंदोला यहां आ चुके थे। इसके बाद विधायक मधु वर्मा, गोलू शुक्ला, मंत्री तुलसी सिलावट पहुंचे। सांसद शंकर लालवानी के अलावा इंदौर के प्रभारी राघवेंद्र गौतम, पूर्व विधायक जीतू जिराती, भाजपा नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा भी भोज में शामिल हुए।
सबसे अंत में विधायक महेंद्र हार्डिया पहुंचे। विजयवर्गीय के निवास की पहली मंजिल पर सभी ने साथ मिलकर मालवी व्यंजन दाल-बाफले, बेसन गट्टे, चूरमे का लड्डू का स्वाद लिया। मंत्री के परिवार के सदस्यों ने अपने हाथों से सभी को भोजन परोसा। भोजन के बाद विजयवर्गीय ने मेहमानों को आरएसएस पर लिखी गई एक पुस्तक भेंट की।
इस भोज में सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन विधायक मालिनी गौड़, पूर्व मंत्री उषा ठाकुर और मनोज पटेल इसमें शामिल नहीं हुए। भाजपा नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने बताया कि तीनों ही विधायकों ने अलग-अलग कारणों से आयोजन में शामिल नहीं होने के बाद में पूर्व में ही सूचना दे दी थी।