इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। लगातार सात बार स्वच्छता का सरताज पहनने वाले इंदौर में अब पर्यटन काफी तेजी से विकसित हो रहा है। पहले उज्जैन और ओंकारेश्वर की वजह सीमित मात्रा में श्रद्धालुओं का इंदौर आवागमन होता था। परंतु जब से इंदौर की स्वच्छता की चर्चा पूरे देश में हुई है। तब से लोगों ने इंंदौर को भी अपनी पर्यटन सूची में शामिल कर लिया है।
लोग उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ ही इंदौर में काफी समय बीताते हैं। पर्यटकों की संख्या बढ़ते देखकर यहां होटल, हवाई परिवहन, रेल परिवहन आदि की सुविधा भी तेजी से विकसित हो रही है। अब इंदौर की सफाई के चर्चे पूरे देश में है तो कई लोग यह हकीकत देखने इंदौर तक आते हैं। सच है, ऐसी तारीफ करके वह इंदौर के शुभचिंतक बनकर अपने ग्रहजनपदों में जाते हैं।
अब पयर्टक धार्मिक स्थानों के अलावा हिल स्टेशन, वाटर फाल, डैम आदि घूमने पर ज्यादा फोकस करते हैं। इंदौर के अलावा पयर्टक इंदौर के स्थानीय पयर्टन स्थलों पर भी खूब जा रहे हैं। इसमें पचमढ़ी, मांडू, महेश्वर, हनुवंतिया जैसे चिर-परिचित स्थान तो हैं ही, किंतु अब गांधीसागर, केरवा डेम, पातालपानी, मढ़ई और रातीबड़ जैसे स्थान भी खासे पसंद किए जा रहे हैं।
स्थिति यह है कि चिर-परिचित स्थान को चुनने से पहले इंदौर के घुमंतू उन स्थानों की पूछपरख कर रहे हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। वर्तमान में जाम गेट के समीप गांवों में बनने वाली टेंट सिटी, पातालपानी और गांधीसागर के प्रति पूछपरख बढ़ी है। ये ऐसे स्थान हैं जहां अब निजी एजेंसियों द्वारा भी सुविधाएं प्रदान की जाने लगी हैं।
ट्रेवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया मप्र चैप्टर के चेयरमैन शैलेंद्र खरे बताते हैं कि विगत करीब डेढ़ वर्ष में प्रदेश के पर्यटक स्थलों पर जाने वालों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है। पर्यटक ऐसे स्थानों पर जाना पसंद कर रहे हैं, जहां भीड़ कम और रोमांच ज्यादा हो।
बीते वर्षों में प्रदेश के पर्यटक स्थलों का विकास भी बेहतर हुआ है और सुविधाएं भी बढ़ी हैं। बात अगर नए स्थानों की करें, तो गांधीसागर, केरवा डेम, मढ़ई और रातीबड़ के लिए भी लोग खूब जानकारी ले रहे हैं और बुकिंग करवा रहे हैं। यही नहीं, चीतों का घर बने कूनो अभयारण्य जाने के लिए भी रुझान बढ़ा है।
ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन आफ मप्र व छत्तीसगढ़ के चैप्टर चेयरमैन हेमेंद्र सिंह जादौन के अनुसार इंदौर के आसपास के पर्यटक स्थलों पर जाने वालों में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। युवा समूह में यहां जाना पसंद कर रहे हैं। परिणाम यह है कि सप्ताह के अंत में या जब दो दिन का अवकाश हो, तब तो शहर के आसपास के पर्यटक स्थलों पर कमरे मिलना मुश्किल हो जाता है।
महाकाल कारीडोर और ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित होने के बाद से इन दोनों स्थानों पर दर्शन के लिए बाहर से आने वाले पर्यटक इंदौर के आसपास के पर्यटक स्थलों की सैर करने में भी रुचि ले रहे हैं। पर्यटक स्थलों पर बढ़ी रोमांचक गतिविधियों के कारण भी यहां के युवा अन्य प्रदेश में जाने से पहले इन स्थानों को तवज्जो दे रहे हैं।
- इसलिए भी स्थानीय के प्रति रुझान।
- प्रदेश में ही सैर करने पर खर्च अपेक्षाकृत कम आता है।
- करीब 100 किमी के दायरे में होने से आवागमन में समय भी कम लगता है।
- दूरी कम होने से प्रतिमाह किसी एक स्थान पर जाना संभव हो पा रहा।
- भाषा, भोजन में भी परेशानी नहीं आती।
- नजदीकी स्थलों पर निजी वाहन से भी पहुंचा जा सकता है।
- पर्यटक स्थलों पर बेहतर हुई हैं सुविधाएं।
- विशेष महोत्सव भी कर रहे आकर्षित।