लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर। श्रावण मास में श्रीफल (नारियल) चढ़ाकर प्रार्थना करना श्रद्धालुओं की जेब ढीली करेगा। गुरुपूर्णिमा और श्रावण मास से ठीक पहले नारियल के दाम अब तक के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। खेरची बाजार में नारियल इन दिनों 30 से 35 रुपये प्रति नग बिक रहा है।
गुरुपूर्णिमा से रक्षाबंधन तक का समय नारियल की बिक्री के लिहाज से वर्ष का सबसे प्रमुख सीजन होता है। ऐसे में आसार हैं कि रक्षाबंधन के पहले नारियल के दाम खेरची बाजार में 40 रुपये प्रति नग तक पहुंच सकते हैं।
गर्मी का मौसम बीतने और मानसून की आहट से ठीक पहले एकाएक नारियल के दाम बढ़ने लगे और अब बाजार भी दामों में आ रही तेजी से हैरान हैं। प्रदेश की सबसे बड़ी थोक किराना मंडी सियागंज में मंगलवार को नारियल के दाम थोक खरीदी पर प्रति नग 27 रुपये के स्तर पर आ गए। खेरची दुकानों पर नारियल 30 से 35 रुपये प्रति नग के भाव पर बेचे जा रहे हैं।
सियागंज के नारियल कारोबारी आला भाई कहते हैं- 'मैं 40 वर्षों से नारियल का व्यापार कर रहा हूं लेकिन इतने ऊंचे दामों पर नारियल कभी बिकते नहीं देखे। गर्मी के दौरान तो कीमतें सामान्य थीं। इसके बाद महीनेभर में दाम बहुत तेजी से उछले। अब जो दाम हैं, वे चार दशक में सबसे ज्यादा हैं। मांग और ग्राहकी तो अब बढ़ेगी, ऐसे में दाम खेरची में 40 रुपये प्रति नग पर पहुंचें तो आश्चर्य नहीं होगा।'
सियागंज होलसेल किराना मर्चेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नईम पालवाल के अनुसार दक्षिण भारत के उत्पादक क्षेत्रों से नारियल की आपूर्ति इंदौर व मप्र में होती है। महीनेभर से उत्पादक मंडियों से ही दाम बढ़ाकर आपूर्ति की जाने लगी है।
इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि वहां नारियल तेल की मांग बढ़ी है और पर्याप्त स्टाक नहीं होने से दाम तेज हो रहे हैं। हालांकि उछलते दामों से व्यापारी चिंतित हैं क्योंकि इसके चलते ग्राहकी पर असर पड़ेगा।
खेरची दुकानदार चेतन आहूजा के अनुसार इस साल की शुरुआत में नारियल के भाव 18 से 20 रुपये प्रति नग थे। इसके बाद 22 से 25 रुपये प्रति नग बिकने लगा। आम तौर पर 25 रुपये को नारियल के दाम का उच्च स्तर माना जाता है। अब तो दाम ने 30 रुपये की सीमा भी लांघ दी है।
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इंदौर नारियल व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष मुन्ना मिश्रा के अनुसार दक्षिण भारत के आपूर्तिकर्ता कह रहे हैं कि इस साल नारियल का स्टाक कम है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में नारियल का तेल उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियां खुद किसानों से सूखा नारियल यानी खोपरा (कोप्रा) खरीद रही हैं। उन्हें भी पर्याप्त माल नहीं मिल रहा।
इसका असर रहा कि दक्षिण भारत में ही जो नारियल तेल इस साल की शुरुआत में 200 रुपये प्रति लीटर था, अब 450 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। तेल कंपनियां महंगा खोपरा खरीदने को तैयार हैं, ऐसे में दक्षिण भारत के किसान गीला नारियल बेचने की बजाय उसे प्रोसेस कर खोपरा बनाकर बेचने में जुट गए हैं। मार्च-अप्रैल में नारियल की नई फसल आएगी, उससे पहले दामों में खास गिरावट की उम्मीद नहीं है।