नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नीट यूजी की दोबारा परीक्षा के एकलपीठ के फैसले पर 24 घंटे के भीतर ही स्टे हो गया। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने दोबारा परीक्षा कराने के एकलपीठ के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। एनटीए की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 75 अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने में कई व्यावहारिक परेशानियां हैं।
परीक्षा के पर्चों का स्तर एक जैसा बनाए रखना लगभग असंभव है। इससे काउंसलिंग में भी देरी होगी और शिक्षा सत्र समय पर शुरू नहीं हो सकेगा। तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने 75 अभ्यर्थियों की दोबारा परीक्षा आयोजित करने के एकलपीठ के फैसले पर रोक लगाते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग को एमबीबीएस, बीडीएस सहित मेडिकल के अन्य कोर्स के लिए काउंसलिंग शुरू करने की अनुमति दे दी।
एकलपीठ के फैसले पर स्टे के बाद वे सभी 75 अभ्यर्थी असमंजस में हैं जिन्होंने 3 जून से पहले हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब तक इन अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित नहीं हुआ है। हालांकि कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए इतना जरूर कहा है कि काउंसलिंग की अंतिम सूची अपीलों के फैसले के अधीन रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। एनटीए के एडवोकेट रोमेश दवे ने एकलपीठ के फैसले पर स्टे की पुष्टि की है।
एनटीए ने चार मई को पूरे देश में नीट-यूजी आयोजित की थी। इंदौर में इसके लिए 49 सेंटर बनाए गए थे। परीक्षा के दिन इंदौर में जोरदार वर्षा के चलते पूरे शहर की बिजली गुल हो गई थी। परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी। कई परीक्षा केंद्र में अंधेरा छा गया और परीक्षार्थियों को मोमबत्ती की रोशनी में परीक्षा देना पड़ी।
परीक्षा के दौरान हुई अव्यवस्था को लेकर 75 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोमवार 30 जून 2025 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने याचिकाओं में फैसला सुनाते हुए एनटीए से कहा था कि वह ऐसे सभी अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करे जिन्होंने तीन जून से पहले याचिका दायर की थी। एनटीए ने इस फैसले को चुनौती देते हुए युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की, जिसमें मंगलवार को सुनवाई हुई।
एनटीए के वकील मेहता ने कोर्ट को बताया कि देशभर में लगभग 22 लाख अभ्यर्थियों ने नीट-यूजी दी थी। इसमें इंदौर के 27264 अभ्यर्थी शामिल हैं। इनमें से सिर्फ 75 ने ही अव्यवस्था को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एनटीए ने इस मामले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने भी माना कि परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने की वजह से कोई असर नहीं पड़ा है। इंदौर के एक छात्र ने देशभर में दूसरी रैंक हासिल की है जबकि उसने उसी केंद्र से परीक्षा दी थी जिसे प्रभावित बताया जा रहा है।
अभ्यर्थियों की तरफ से एडवोकेट भटनागर ने कहा कि फिलहाल काउंसलिंग पर रोक लगाई जाना चाहिए। अगर काउंसलिंग हो गई तो 75 अभ्यर्थियों का क्या होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि एक तरफ 22 लाख अभ्यर्थी हैं और दूसरी तरफ 75। हमें वृहद स्तर पर सोचना होगा। हम काउंसलिंग पर रोक नहीं लगा सकते। ऐसा करेंगे तो शिक्षा सत्र समय पर शुरू नहीं हो सकेगा। इससे विद्यार्थियों का नुकसान होगा। हां इतना जरूर है कि काउंसलिंग की अंतिम सूची अपीलों के अंतिम निराकरण के अधीन रहेगी।