
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नई श्रम संहिता में अब वेतन की एक नई और एक जैसी परिभाषा लागू होगी, जिससे सभी जगह वेतन की गणना एक ही तरीके से की जाएगी। नई संहिता में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि वेतन का आधा हिस्सा यानी 50 प्रतिशत बेसिक पे होना चाहिए। इसका मतलब है कि कंपनी द्वारा दिए जाने वाले भत्ते वेतन के कुल 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकते।
इस बदलाव का असर सीधे कर्मचारियों की सीटीसी, पीएफ, ग्रेच्युटी और बोनस पर पड़ेगा। यह बातें वरिष्ठ एचआर सलाहकार अनिल मलिक ने कही। इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित कर्टन रेजर सेमिनार में बोल रहे थे। इस दौरान प्रतिभागियों को नई श्रम संहिता से होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दी गई।
अनिल मलिक ने कहा कि सरकार ने पूरे देश में न्यूनतम मजदूरी को एक जैसा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इससे राज्यों के बीच मजदूरी में होने वाला अंतर कम होगा और कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। मजदूरी भुगतान के समय, अनुमेय कटौती, ओवरटाइम और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े प्रविधान पहले की तुलना में साफ और सुव्यवस्थित किए गए हैं। उन्होंने संगठनों को एचआर नीतियों, पेरोल सिस्टम और दस्तावेजी प्रक्रियाओं को समय रहते नई संहिता के अनुरूप अपडेट करने के लिए भी कहा।
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श्रम कानून विशेषज्ञ और अधिवक्ता गिरीश पटवर्धन ने कहा कि नई संहिता का मुख्य उद्देश्य सुलह और विवाद समाधान की प्रक्रिया को मजबूत बनाना है ताकि उद्योगों में लंबे समय तक चलने वाले विवादों को कम किया जा सके। स्टैंडिंग आडर तैयार करने की प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक सरल किया गया है, जिससे संस्थानों को अपने सेवा नियम तैयार करना आसान होगा।
नई संहिता में यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि निश्चित अवधि पर रखे गए कर्मचारियों को अन्य नियमित कर्मचारियों की तरह ही सभी लाभ मिलेंगे। उन्होंने छंटनी और संस्थान बंद करने से जुड़े प्रविधान भी समझाए। उन्होंने कहा कि यह बदलाव नियोक्ता और कर्मचारियों दोनों के लिए अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित प्रणाली तैयार करेंगे।