नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। चूहाकांड के बाद भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है। 19 सितंबर को आइसीयू बेड नहीं मिलने के कारण एक वर्षीय बालिका की मौत का मामला सामने आया है। बालिका गरीब परिवार से थी और देवास जिले से इलाज के लिए यहां रेफर किया गया था। इस संबंध में बालिका के पिता ने शिकायत भी की है।
बालिका के माता-पिता भी चार दिन से जयस संगठन के साथ बेटी को न्याय दिलवाने की मांग को लेकर बैठे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने उनसे चर्चा तक नहीं की। रमेश निवासी बड़ीकराड़, कन्नौद (देवास) ने बताया कि उनकी एक वर्षीय बालिका रिद्धि को बुखार के बाद उल्टी-दस्त होने लगे। जिसे हम जिला अस्पताल देवास में इलाज के लिए लेकर पहुंचे। यहां उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसे चाचा नेहरू अस्पताल (एमवायएच) इलाज के लिए रेफर किया गया। 19 सितंबर को 3.30 बजे एमवायएच में भर्ती करवाया गया।
डॉक्टरों ने बोला कि आईसीयू बेड खाली नहीं है। यदि इलाज करवाना है तो पांच दिन रुकना पड़ेगा। डाक्टरों ने लिखा कि इलाज नहीं करवाना और करवाएं हस्ताक्षर पिता ने बताया कि अस्पताल में दो घंटे रुकने के बाद कहा कि इसका इलाज यहां नहीं होगा। इसके बाद उनसे कहा कि बच्ची का इलाज निजी अस्पताल में नहीं करवा सकता हूं, लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने अपने हाथों से दस्तावेज पर लिख दिया कि मुझे अपनी बेटी का इलाज नहीं करवाना और मुझसे हस्ताक्षर करवा लिए।
बालिका को लेकर घर के लिए एमवाय अस्पताल से निकला। जाने के लिए व्यवस्था नहीं होने के कारण शासकीय एंबुलेंस से घर आया। लेकिन बाद में वह खुद को निजी एंबुलेंस बताने लगा। एंबुलेंस गाड़ी का नंबर एमपी 09 एडी 2547 है। चालक ने मुझसे 2600 रुपये वसूल लिए। घर पहुंचने के बाद बालिका की मौत हो गई। अधिकारियों का कहना है कि हमें इस संबंध में जानकारी नहीं है, हम पता कर मामले की जांच करेंगे।
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