Kishore Kumar Museum: 'पंकियाना' जहां है किशोर की आवाज और पंचम का संगीत
Kishore Kumar Museum: संकलन में कैसेट, सीडी, रिकार्ड, साहित्य, उनके द्वारा बनाए गए संगीत के नोट्स की प्रतिलिपि, फोटोग्राफ्स आदि शामिल किए। किशोरदा ने 98 हिंदी और चार बांग्ला फिल्मों में अभिनय किया। किशोरदा को पान खाने का बहुत शौक था।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 15 Oct 2022 02:14:51 PM (IST)
Updated Date: Sat, 15 Oct 2022 02:14:50 PM (IST)

Kishore Kumar Museum: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। यह शहर केवल गायकों और वादकों का ही नहीं बल्कि उनके दीवानों का भी है। इस शहर ने जहां देश को कई बड़े स्वर साधक दिए, वहीं देश के कलाकारों की साधना को समझने वाले कद्रदान भी दिए। मायानगरी मुंबई ने अगर संगीत के साधकों को पहचान दी तो उनके फन के दस्तावेजों को मिनी मुंबई कहे जाने वाले इस शहर के संगीत रसिकों ने सहेजा भी। संगीत के माध्यम से करोड़ों दिलों पर राज करने वाले दो महान कलाकार किशोर कुमार और आरडी बर्मन की संगीत यात्रा को शहर में बने एक संग्रहालय में देखा, सुना, पढ़ा और समझा जा सकता है।
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यह संग्रहालय गीतों के शौकीन सीए नवीन खंडेलवाल ने खंडवा रोड स्थित वल्लभ हेरिटेज में 405 नंबर के फ्लैट में बनाया है जिसे नाम दिया है 'पंकियाना'। असल में यह नाम इन्होंने नहीं बल्कि गीतकार गुलजार ने दिया है जिसकी वजह है किशोर और पंचम दा दोनों के सफरनामे को एक साथ शामिल करना।
इस संग्रहालय में जाने पर जब घंटी बजाई जाती है तो आराधना फिल्म के गीत 'कोरा कागज था ये मन मेरा' में किशोर कुमार ने जो गूंज दी थी, वही गूंज सुनाई देती है और अंदर जाते ही ठीक समाने किशोरदा और पंचमदा के फोटो नजर आते हैं। नवीन बताते हैं कि उन्हें इन दोनों ही कलाकारों के गीत सुनने का शौक तो बचपन से ही रहा लेकिन गीतों और उससे जुड़ी जानकारी का संकलन 1987 से शुरू किया। इस संकलन में कैसेट, सीडी, रिकार्ड, साहित्य, उनके द्वारा बनाए गए संगीत के नोट्स की प्रतिलिपि, फोटोग्राफ्स आदि शामिल किए। किशोरदा को पान खाने का बहुत शौक था और उनके पान के प्रति लगाव को इसी बात से महसूस किया जा सकता है कि उन्होंने पान पर केंद्रित कविता भी लिख दी थी। यह कविता यहां सेंटर टेबल पर उकेरी गई है।
किशोरदा ने 98 हिंदी और चार बांग्ला फिल्मों में अभिनय किया। उन फिल्मों के शीर्षक को लिए मैंने एक कहानी लिखी और इस कहानी को एक वालपेपर का रूप देकर लगाया ताकि किशोरदा के प्रशंसक उनकी फिल्मों के बारे में जान सकें। इसी तरह पंचमदा कितने साज बजा लेते थे और उनके समूह में कितने साजिंदे शामिल थे, पंचमदा और किशोरदा ने किन गीतों पर साथ में काम किया, इनके ऐसे गीत जो किसी फिल्म में नहीं हैं, जिन गीतों को लिखकर उन्हें याद करके किशोरदा ने गाया उनकी प्रतिलिपि, ताश के पत्तों पर स्वलिखित रचना, गुलजार के गीत पर किशोर की आवाज वाली कैसेट आदि को यहां सहेजा गया है। इस संग्रह का उद्देश्य यह भी है कि संगीत के युवा साधक इन दिग्गज कलाकारों की मेहनत के बारे में भी जान सकें।