
नईदुनिया प्रतिनिधि,इंदौर: राजनीति के लिहाज से इंदौर के लिए बीत रहा वर्ष 2025 बहुत कुछ सुर्खियों को समेटने वाला रहा। इस साल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों को शहर और जिले के नए अध्यक्ष मिले। बदलाव वाले साल में अध्यक्षों के लिए भी राह आसान नहीं रही और उन्हें अपने ही लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा। विरोध सिर्फ शहर के नेताओं तक नहीं रहा।
कांग्रेस में बात प्रदेश के बड़े नेताओं तक पहुंची। पूर्व मुख्यमंत्री का उनके ही स्थानीय नेता विरोध करते दिखे। वायरल हुई एक आडियो ने खलबली मचाई। तमाम विरोध के बीच अनुशासन की कोई बढ़ी कार्रवाई नहीं हुई।
इस बीच राजनीति की चिंगारी बाजारों और व्यापार तक पहुंची। राजनेताओं ने मध्य क्षेत्र के बाजार से अल्पसंख्यकों के बहिष्कार का ऐलान किया। विपक्षी विरोध की राजनीति में उतरे। कुछ दिन सुर्खियां बनी और मामला फिर ठंडा हो रहा।
जनवरी की शुरुआत में सत्ताधारी दल भाजपा में नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ शहर को चौंकाया। सुमित मिश्रा का नाम शहर और श्रवण सिंह चावड़ा का नाम जिला अध्यक्ष के रूप में घोषित हुआ। राजनीतिक समीक्षक चौंके और गुट और सिफारिशों का अंदाजा लगाया जाने लगा। दीपावली से पहले नगर भाजपा ने नई कार्यकारिणी घोषित की।
इस बीच कार्यकारिणी में आए दो नंबर से एक पदाधिकारियों का नाम देने को लेकर विरोध सतह पर आ गया। खाती समाज और भाजपा के कुछ कार्यकर्ता जावरा कंपाउंड के कार्यालय में घुसे। नगर अध्यक्ष की नेमप्लेट पर कालिख पोत दी। हालांकि दो ही दिन में माफीनामे के साथ विरोध भी विसर्जित हो गया।
साल के आखिर में इंदौर के हिस्से में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में अहम पद मिला। पहली बार भाजपा की झोली में प्रदेश महामंत्री आया और पूर्व नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को इस पर नियुक्ति मिली।
कांग्रेस में अगस्त में नए जिला और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अगस्त में नई नियुक्तियां की। संगठन सृजन के रूप में युवाओं पर दाव लगाते हुए आगर के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को जिला और निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे को शहर अध्यक्ष बनाया गया। थोड़े-बहुत विरोध के बाद नए अध्यक्षों ने काम शुरू कर बरसात के बीच पहला विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच भाजपा में विधायक पुत्र ने सीतलामाता बाजारों से अल्पसंख्यक कर्मचारियों के निकालने का फरमान सुनाया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह इसके विरोध में सीतलामाता बाजार पहुंचे। इस मौके पर दिग्विजसिंह के साथ जिला अध्यक्ष वानखेड़े तो रहे लेकिन शहर अध्यक्ष चौकसे नजर नहीं आए। सिंह को बाजार में दाखिल नहीं होने दिया गया।
बाद में इस बाजार में राजनीति नहीं थमी। सीतलामाता बाजार में हिंदू महासभा के विरोध प्रदर्शन में गोड़से जिंदाबाद के नारे लगा दिए गए और व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी साथ खड़े रहे।
साल खत्म होने से पहले कांग्रेस का आंतरिक विरोध फिर सतह पर दिखा। जब एक आडियो सामने आई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के विरुद्ध अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगा। घेरे में शहर अध्यक्ष चौकसे आए। कांग्रेस ने चौकसे के साथ पूर्व अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा को नोटिस जारी किया। हालांकि नोटिस के साथ ही मामला भी ठंडा पड गया। साल बीतते-बीतते सब सामान्य नजर आने लगा।चिंटू की भोपाल में दिग्विजय सिंह मुलाकात भी हो गई।