नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आइईटी) में पिछले कुछ वर्षों से रैगिंग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। विभाग ने कई प्रयास किए। सीनियर और जूनियर छात्रों के लिए अलग-अलग होस्टल में रखा गया है, बावजूद इसके हालात काबू में नहीं आ रहे हैं।
2025-26 सत्र की शुरुआत के कुछ ही दिनों में यहां दो रैगिंग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे संस्थान की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब जूनियर छात्र शिकायत लेकर होस्टल वार्डन के पास जाते हैं, तो उन्हें गंभीरता से नहीं सुना जाता। इस कारण पीड़ित छात्र खुद को असुरक्षित और निराश महसूस कर रहे हैं।
विभाग अब तीसरे और अंतिम वर्ष के छात्रों को होस्टल से बाहर करने पर विचार कर रहा है। उनका मानना है कि यदि केवल जूनियर छात्र ही होस्टल में रहेंगे, तो रैगिंग की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
29 अगस्त को हुई एक घटना ने छात्रों के बीच माहौल और तनावपूर्ण बना दिया। बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र हर्ष द्विवेदी ने एक सीनियर को "गुड मॉर्निंग" की जगह "गुड इवनिंग" कह दिया। इस मामूली सी बात पर अंतिम वर्ष के छात्रों ने उसकी पिटाई कर दी। विभाग ने इसे रैगिंग मानने से इंकार कर दिया और इसे विद्यार्थियों के आपसी विवाद के रूप में अनुशासन समिति को भेज दिया।
सीनियर होस्टल में रहने वाले छात्रों ने बताया कि वे रात में जूनियर होस्टल में आकर परिचय लेते हैं और छात्रों को ‘बैच इन’ और ‘बैच आउट’ में बांटते हैं।
दो बैच में छात्र
बैच इन- छात्र जो स्वेच्छा से रैगिंग में हिस्सा लेते हैं। उन्हें सीनियर पढ़ाई, प्रोजेक्ट और अन्य गतिविधियों में मदद करते हैं।
बैच आउट -छात्र जो रैगिंग का विरोध करते हैं। उन्हें सीनियर किसी प्रोजेक्ट या गतिविधियों में शामिल नहीं करते और अलग-थलग कर देते हैं।
प्रशासन का क्या कहना
डॉ. प्रतोष बंसल, निदेशक, आईईटी, डीएवीवी का कहना है कि विभाग का मानना है कि जब सीनियर और जूनियर के होस्टल अलग हैं, तो सीनियर छात्रों को जूनियर होस्टल में आने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। अब तृतीय और अंतिम वर्ष के छात्रों को होस्टल में प्रवेश न देने की योजना तैयार की गई है। इस प्रस्ताव को कुलगुरु डॉ. राकेश सिंघई के समक्ष रखा जाएगा।
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