
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। ट्रांसपोर्टर राजा रघुवंशी हत्याकांड में गुरुवार को सोनम रघुवंशी की दो सहेलियों के कथन हुए। दोनों युवतियों की ई-सेवा कक्ष से शिलांग कोर्ट में पेशी हुई। दोनों ही युवतियां सोनम की कर्मचारी बताई जा रही है। पेशी के दौरान वकील भी मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक शिलांग पुलिस ने विवेचना के दौरान दीपांशी और प्रियांशी के भी कथन लिए थे। देश के चर्चित केस में अब शिलांग कोर्ट में ट्रायल शुरू हो चुका है।
राजा के बड़े भाई विपिन के कथन दर्ज होने के बाद कोर्ट ने दीपांशी और प्रियांशी को समंस जारी किया था। दोनों की जिला कोर्ट में ई-सेवा कक्ष के माध्यम से पेशी हुई। सोनम को भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जोड़ा गया था। सरकारी वकील ने दीपांशी और सोनम का ऑनलाइन सामना करवाया।
इसके बाद सोनम के संबंध में सवाल हुए। वकील ने सोनम के ऑफिस आने-जाने और राज कुशवाह (आरोपित) के संबंध में भी पूछा। सरकारी वकील के अनुसार दोनों युवतियों को दो समंस मिल चुके थे। शिलांग न जाने के कारण ऑनलाइन पेशी करवाई गई है। उधर, राजा के भाई विपिन का आरोप है कि दोनों युवतियां गोविंद के ऑफिस की कर्मचारी है और उन्हें समझा-बुझाकर कोर्ट लाया गया।
आईएएस संतोष वर्मा से जुड़े एक फर्जी फैसले कांड में निलंबित जज विजेंद्रसिंह रावत गुरुवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश हुए। दो वकीलों के साथ कोतवाली थाने पहुंचे रावत ने जमानत के दस्तावेज पेश किए और रवाना हो गए। एसीपी विनोद दीक्षित ने उनसे लिखित में सवालों के जवाब मांगे हैं।
एमजी रोड थाने में दर्ज इस केस में खुद विजेंद्रसिंह रावत फरियादी हैं। उनकी कोर्ट से बने फर्जी फैसले के आधार पर ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे संतोष वर्मा को आइएएस अवार्ड आवंटित हुआ था। चार साल पूर्व संतोष की गिरफ्तारी हुई थी। रावत ने हाल में अग्रिम जमानत ली है। बुधवार को ही एसीपी विनोद दीक्षित ने नोटिस कर उन्हें पेश होने के लिए कहा था।
उधर, पुलिस ने संतोष वर्मा की जमानत खारिज करवाने की पूरी तैयारी कर ली है। एसीपी के मुताबिक जिस फैसले के आधार पर वर्मा को आइएएस अवार्ड आवंटित हुआ, उस पर विजेंद्रसिंह रावत के हस्ताक्षर हैं। पुलिस उस दस्तावेज की जांच करवाना चाहती है। वर्मा से हस्ताक्षर के नमूने मांगे तो उन्होंने इनकार कर दिया। यह जमानत की शर्तों का उल्लंघन है। पुलिस कोर्ट में पक्ष रखेगी।