नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। दशहरा-दीपावली और सर्दी का सीजन आते ही बाजारों में गोंद की डिमांड बढ़ गई है। इसे लेकर तस्कर फिर सक्रिय हो गए है। पहले जहां बड़े-बड़े ट्रक और जीप से गोंद की खेप मंडियों तक पहुंचती थी। वहीं अब माफिया ने नया तरीका ढूंढ लिया है।
इस बार गोंद की सप्लाई चोरी-छिपे दुपहिया वाहनों से हो रही है। ताकि वन विभाग और पुलिस की नजरों से बचा जा सके। तस्कर खंडवा, चोरल, बड़वानी और बड़वाह से सटे वनक्षेत्रों में सक्रिय हैं।
चोरल रेंज में आने वाले सुरतीपुरा, ग्वालू और सेंडल-मेंडल के जंगलों से धड़ल्ले से गोंद निकाल रहे हैं। इन जंगलों में पाए जाने वाले धावड़ा और साल के पेड़ इनके निशाने पर हैं। निकाला गया गोंद सीधे इंदौर की मंडियों पहुंच रहा है, जिसमें छावनी, सियागंज और मारोठिया शामिल है।
Madhya Pradesh : ज्यादा गोंद निकालने के लिए पेड़ों को लगा रहे केमिकल इंजेक्शन
वन विभाग की शुरुआती कार्रवाइयों के बाद भी तस्कर अब ज्यादा चालाक हो गए हैं। बड़ी खेप पकड़ में न आए इसलिए छोटे-छोटे हिस्सों में गोंद दुपहिया वाहनों से भेजा जा रहा है। इन दिनों चोरल रेंज में तस्कर अधिक सक्रिय है, क्योंकि स्टाफ ने जंगलों में गश्त कम कर दी। साथ ही नाकों पर भी वनकर्मी गायब रहते है। सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश के कई जिले में धावड़ा और साल के पेड़ है। बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, शहडोल, सिवनी, अनूपपुर, खंडवा, खरगोन, बड़वाह और उमरिया में गोंद उत्पादन अधिक होता है। यही वजह है कि ये क्षेत्र लगातार माफियाओं के निशाने पर रहते हैं।
गोंद ज्यादा और जल्दी निकालने के लालच में तस्कर पेड़ों पर रसायनयुक्त इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे कुछ ही समय में गोंद तो निकल आता है, लेकिन पेड़ की कोशिकाएं जल जाती हैं और वह धीरे-धीरे सूख जाता है।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और इंजेक्शन से गोंद निकालने की प्रक्रिया न सिर्फ जंगलों को उजाड़ रही है, बल्कि वन्यजीवों और जैव विविधता के लिए भी खतरा बन रही है। साथ ही, बाजार में पहुंच रहा घटिया और रसायनयुक्त गोंद लोगों की सेहत बिगाड़ सकता है।