नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। लोकायुक्त पुलिस ने निलंबित बाबू नरेंद्र नरवरिया को घूसखोरी के मामले में रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। सहायक ग्रेड-3 नरेंद्र, खुड़ैल नायब तहसीलदार दयाराम निगम के लेन-देन का काम करता है। आरोप है कि उसने जमीन का नामांतरण करने के लिए वकील कृष्णकांत दांगी से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
50 हजार रुपये की मांग
डीएसपी (लोकायुक्त) सुनील तालान के अनुसार, वकील कृष्णकांत ने कल्याणी बुआ भागवंती बाई की ग्राम खराड़िया स्थित भूमि के नामांतरण के लिए खुड़ैल तहसील कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया था। इसके बाद नरेंद्र ने नायब तहसीलदार दयाराम निगम से मिलकर नामांतरण संबंधी कार्य कराने के लिए 50 हजार रुपये की मांग की। वकील ने मामले की शिकायत लोकायुक्त पुलिस को कर दी। मंगलवार को नरेंद्र ने वकील को तहसील कार्यालय बुलाया और रुपये लेकर उन्हें दराज में रख लिया। इशारा मिलते ही लोकायुक्त पुलिस ने नरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया।
घटना के समय नायब तहसीलदार कार्यालय में मौजूद नहीं थे, लेकिन लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपित बनाया है। पुलिस को सौंपे गए ऑडियो रिकॉर्डिंग में नायब तहसीलदार के नाम का उल्लेख है। शिकायतकर्ता स्वयं भी नायब तहसीलदार से मिला था, जिन्होंने वकील से कहा था कि नरेंद्र से बात कर रिश्वत की राशि कम कर देंगे।
कार्रवाई की भनक पहले ही
लोकायुक्त की छापेमारी की खबर तहसील कार्यालय में पहले ही लीक हो गई थी। पूरे स्टाफ को भनक लग गई थी और सभी अलर्ट हो गए थे। नरेंद्र को भी सूचना मिल चुकी थी। वह दो बार बाहर भी गया, लेकिन बाद में निश्चिंत होकर वकील से रुपये लेकर दराज में रख दिए, तभी टीम ने कार्रवाई कर दी।
पहला मामला नहीं
नरेंद्र के खिलाफ यह पहला मामला नहीं है। ढाई साल पहले भी लोकायुक्त पुलिस ने उसके विरुद्ध पद के दुरुपयोग का केस दर्ज किया था। उस प्रकरण में चालान पेश हो चुका है। इसके बाद उसे निलंबित कर कनाड़िया तहसील कार्यालय में अटैच कर दिया गया था। नायब तहसीलदार दयाराम निगम, बाबू नरेंद्र के जरिए ही वसूली करता था। मौखिक आदेश से उसने नरेंद्र को खुड़ैल बुला लिया था। बताया जाता है कि उसके कारण पूरा तहसील स्टाफ परेशान था और कर्मचारियों ने ही शिकायत आगे बढ़ाई थी।