कलाकार का दूसरा पक्ष है इंतजार, कहना है आश्रम फेम कलाकार तुषार पांडे का
इंतजार मुश्किल जरूर है और उस मुश्किल वक्त में उन पलों में खुद पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Fri, 01 Jul 2022 02:54:27 PM (IST)
Updated Date: Fri, 01 Jul 2022 02:54:26 PM (IST)

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। यह जरूरी नहीं कि शुरुआती दौर से ही कलाकार को पहचान मिल जाए। कई बार उसे लंबा इंतजार करना पड़ता है। एक कलाकार का दूसरा पक्ष इंतजार है। इंतजार मुश्किल जरूर है और उस मुश्किल वक्त में उन पलों में खुद पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है। जिस वक्त मैं अच्छे किरदार, फिल्म का इंतजार करता हूं उस वक्त निराश होने के बजाए खुद को व्यस्त रखता हूं। अभिनय के माध्यम से खुद को व्यस्त रखने के लिए मैं रंगमंच करता हूं और पढ़ने-पढ़ाने का शौक है इसलिए पढ़ाने लग जाता हूं।
यह कहना है फिल्म छिछोरे और वेब सीरिज आश्रम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले अभिनेता तुषार पांडे का। अपनी अगामी फिल्म टीटू अंबानी के प्रमोशन के लिए शहर आगमन पर नईदुनिया के साथ हुई खास चर्चा में तुषार ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि फिल्म रंग दे बसंती के लिए वे अभिनय करने गए ही नहीं थे। फिल्म की शूटिंग दिल्ली में हो रही थी और वे दोस्तों के साथ शूटिंग देखने गए थे। फिल्म के किसी सदस्य ने मुझे बुलाया और कहा यह लाइन बोल दो। मैंने सहज भाव से वह कह दी। मुझे पता नहीं था कि वह फिल्म में शामिल भी हो जाएगी और जब फिल्म में खुद को देखा तो मैं चौंक गया।
ऐसा नहीं कि अभिनय का शौक मुझे नहीं था। मैं शुरू से ही अभिनय करता आ रहा हूं और दिल्ली के कालेज में मुझे रंगमंच कोटे से ही प्रवेश मिला था। कोर्स के दौरान भी रंगमंच से जुड़ा रहा और अभिनय के प्रति रूचि बढ़ती गई। बाद में मैंने नेशनल स्कूल आफ ड्रामा से कोर्स किया। वहां से मैं अभिनय से जुड़े तमाम आयामों को जान पाया। इसके बाद विशेषज्ञता के लिए लंदन इंटरनेशनल स्कूल आफ परफार्मिंग आर्ट से स्नातक किया। अभिनय की परिभाषा सभी जगह एक सी है और वह यह कि जो भी किरदार निभाएं उसके प्रति ईमानदार रहें। अभिनय ऐसा हो जिसके रस में दर्शक डूब सकें। मैं यही प्रयास करता हूं कि दर्शकों को अपने अभिनय से बांधे रख सकूं। मैं चाहता हूं कि मेरा एक किरदार देख दर्शक पुराने किरदार को भूल जाएं।
मैं जब भी कोई किरदार निभाता हूं तो प्रयास यही करता हूं कि उसके लिए तैयारी कर सकूं। निर्देशक और लेखक के नजरिए के करीब पहुंचने का प्रयास करता हूं। कलाकार को किरदार की मनोस्थिति को समझना पड़ता है जो छवि बनाती है। बात अगर छिछोरे फिल्म की करें तो मुझे उसके लिए कैरम सीखना पड़ा। चूंकि मैं बाएं हाथ से कार्य करता हूं और फिल्म में मुझे दाएं हाथ से कैरम खेलना था तो उसका प्रशिक्षण लिया। आश्रम के लिए मुझे ग्रामीण बोली का प्रशिक्षण प्राप्त करना पड़ा।