
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर आउटर रिंग रोड के दूसरे चरण के रूप में प्रस्तावित पूर्वी रिंग रोड (पूर्वी बायपास) के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत इंदौर और देवास जिले के कुल 44 गांवों की 696 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। परियोजना पर अनुमानित 5 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी, जबकि केवल भू-अर्जन पर 1172.49 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
दरअसल पूर्वी बायपास के बनने से इंदौर शहर में भारी वाहनों का दबाव कम होगा और शहर के भीतर ट्रैफिक व्यवस्था सुचारु बनेगी। साथ ही इंदौर–देवास औद्योगिक क्षेत्र को सीधा और तेज मार्ग मिलने से औद्योगिक, व्यावसायिक और रियल एस्टेट विकास को नई गति मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और स्थानीय निवासियों को भी बेहतर सड़क संपर्क का लाभ मिलेगा। 83.63 किमी लंबी सड़क का मामला लंबे समय से सड़क अलॉटमेंट के कारण उलझा हुआ था। किसानों और छावनी क्षेत्र की आपत्ति के बाद इसके लेआउट में बदलाव किया गया है। इससे सड़क की लंबाई और लागत भी बढ़ गई है।
पूर्वी रिंग रोड की कुल लंबाई 83.63 किलोमीटर होगी। इसमें से 78.30 किमी सड़क इंदौर जिले में और 4.20 किमी सड़क देवास जिले से गुजरेगी। यह बायपास दोनों जिलों की छह तहसीलों से होकर गुजरेगा, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी।
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परियोजना का विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर शासन की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। प्रशासनिक स्तर पर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निर्माण प्रक्रिया और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। सड़क निर्माण के साथ-साथ सर्विस रोड, पुल-पुलिया और अन्य आधारभूत सुविधाओं को भी शामिल किया जाएगा।