नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। यूं तो हर दिन सूर्योदय-सूर्यास्त होता है और सूर्य की लालिमा हर दिन समान नजर आती है पर बात नजरिए और नजारों की है। सकारात्मकता का संचार करना उगता सूरज और खुशियों का खजाना लुटाकर जाता सूरज जब भी देखा जाता है यह मन को खुश ही कर देता है। सूरज के इन दोनों स्वरूपों को यदि किसी प्राकृतिक वादियों के बीच से देखा जाए तो उसका सौंदर्य और मन का आनंद कई गुना बढ़ जाता है।
तभी तो वादियों में ऐसे कई स्थान हैं जहां लोग सूरज के इस सुंदर स्वरूप और उसकी लालिमा से सजी प्रकृति को देखने जाते हैं। अगर आप भी किसी ऐसे स्थान पर जाना चाहते हैं लेकिन स्थान तय नहीं कर पा रहे हैं तो आपकी यह परेशानी थोड़ी हम कम कर देते हैं।
इसके लिए आपको शहर से बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं महज आधे-पौन घंटे में पहुंच सकते हैं और प्रकृति के अनुपम नजारे को देखने की ख्वाहिश पूरी भी कर सकते हैं।
आज के सैर सपाटे की डायरी में जो नाम सामने आया है वह है ‘शांतिनाथ गिरी’। इस स्थान के नाम से आप से आप यहां किसी धार्मिक स्थल के होने का अनुमान मत लगाइये। हां, यह जरूर है कि इस स्थान पर आप असीम शांति का अनुभव जरूर कर सकते हैं। शायद इसलिए ही इस पहाड़ को शांतिनाथ गिरी नाम दिया है। इस नामकरण के पीछे कारण कोई भी हो पर वास्तविकता यह है कि यहां आनंद और शांति का अनुभव बहुत होता है।
यही नहीं इस स्थान पर किसी भी मौसम में जाया जा सकता है क्योंकि हर मौसम में यहां का परिदृश्य अलग, आनंद अलग और अनुभव अगल होगा। गर्मी में धूप के बावजूद पेड़ों की छांव और तेज हवा आपसे बात करेगी तो सर्द मौसम में कोहरा और धूप भरपूर आनंद देगी।
बारिश के मौसम में हरियाली की चादर ओढ़े वादियां, नदी और झरनों का बह निकलना और मोर आदि पक्षियों का कलरव मन को खुश कर देता है। इन सबके अलावा सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखना सोने पर सुहागे के समान।
यहां जाने के लिए आपको खंडवा रोड पर जाना होगा। खंडवा रोड बायपास स्थित तेजाजी नगर चौराहे से सिमरोल को पार करते हुए महू रोड की ओर बढ़ें। थोड़ा आगे बढ़ने पर दाहिनी ओर मुड़ें और आधा किमी आगे जाकर बाएं ओर कंक्रीट की सड़क नजर आएगी जिस पर आपको चलना होगा।
महू की ओर जाती रोड से तकरीबन दो किमी अंदर शांतिनाथ गिरी है। तेजाजी नगर चौक से यहां की दूरी करीब 20 किमी है। मतलब आप आधे घंटे में यहां पहुंच सकते हैं। यहां आपको अपने वाहन से ही जाना होगा।
राइड ऑफ राइडर्स के ज्ञानदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि यह स्थान आम लोगों की पहुंच के तो करीब है, लेकिन जानकारी से दूर होने के कारण शांत है। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान एकदम शांत और अनछुआ है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के नजारे देखे जा सकते हैं। यहां चारों तरफ पहाड़, जंगल, हरियाली और खूबसूरत दृश्य ही नजर आएंगे।
यह एक ऐसा स्थान है जो राइडर्स को भी पसंद आता है, ट्रैकिंग करने वालों की ख्वाहिश के भी अनुरूप है। बर्ड वाचिंग के शौकीन भी यहां जा सकते हैं और परिवार या दोस्तों के साथ जिन्हें पिकनिक बनाना है उनके लिए भी उत्तम है। बात पहले यहां तक पहुंचने की करें तो इसका रास्ता भी बेहतर है।
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यूं तो यह स्थान सुंदर और सुरक्षित है बावजूद इसके थोड़ी सावधानी रखने की जरूरी है। यहां न तो बहुत गहराई है और ना ही हिंसक वन्य पशुओं का डर। ट्रैकिंग के नजरिए से भी यह स्थान सुरक्षित है, लेकिन सुनसान रहने के कारण बेहतर होगा यहां आप समूह में ही जाएं। अंधेरा होने के बाद यहां नहीं रुकें।
यहां आपको गांव में बनी छोटी-छोटी दुकानों पर चाय-नाश्ता तो मिल सकता है पर भोजन नहीं, इसलिए भोजन साथ लेकर ही जाएं। यह ऐसा स्थान है जहां से आप पिकनिक बनाकर चार-पांच घंटे में भी लौट सकते हैं पर ध्यान रखें कि प्राकृतिक स्थल होने का कारण इसे दूषित नहीं करें। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।