
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: खानपान के लिए देशभर में प्रसिद्ध इंदौर में मिलावटखोर सक्रिय हो गए है। यहां असली घी के नाम पर आम जनता को वनस्पती बेचा रहा है। पालदा स्थित श्री राम मिल्क फूड डेरी इंडस्ट्रीज से विभिन्न ब्रांड एवं पैकिंग के घी के 10 नमूने लिए गए थे, इनमें से सात सैंपल जांच में फेल पाए गए है।
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि घी में बड़ी मात्रा में वनस्पति मिलाई गई थी। जो खाद्य नियमों का उल्लंघन है, साथ ही आम लोगों की सेहत को भी इससे नुकसान पहुंचता है। यहां फर्म नरेंद्र कुमार गुप्ता की है। वह लंबे समये से इसी प्रकार घी के नाम पर आम लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक वनस्पति को हाइड्रोजन प्रक्रिया के जरिए बनाया जाता है, जिसकी वजह से यह 40 डिग्री तापमान तक पिघलती नहीं है। देखने में यह बिल्कुल घी जैसी लगती है, जिससे आम उपभोक्ता आसानी से धोखा खा जाता है। इसी धोखे का फायदा उठाकर इसे मदर चाइस सहित अन्य नामी ब्रांडों के नाम से 700 से 800 रुपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा था।
विशेषज्ञों के मुताबिक वनस्पति का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसमें ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मोटापा, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। लंबे समय तक वनस्पति युक्त घी खाने से हृदय रोग और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।
कारोबारी सस्ते और हानिकारक पदार्थ मिलाकर ज्यादा मुनाफा कमाने में लगे हैं। घी हमारे शरीर के लिए जरूरी होता है। लेकिन इसमें मिलावट होती है तो यह फायदें की जगह नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बेड कालेस्ट्रोल बढ़ता है। यह ह्रदय को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही फैटी लिवर की समस्या भी होती है।
-डॉ. अमन यादव, एमडी, मेडिसिन
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बता दें कि शहर में इससे पहले दूध, पनीर, मावा, मिठाइयों और मसालों में मिलावट के मामले सामने आ चुके हैं। ये मिलावटी सामान बड़ों-बच्चों सभी के सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसके बच्चों के विकास पर नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
मिलावट घी से पेट से संबंधित समस्या हो सकती है। मिलावटी घी में केमिकल और हानिकारक तेल मिलाएं जाते हैं, इससे बच्चों की सेहत को भी नुकसान होता है। इसमें सेचुरेटेड फेट मिलाया जाता है। इसके सेवन से बच्चों के विकास पर भी असर पड़ता है।
-डॉ. तरूण गुप्ता, शिशु रोग विशेषज्ञ